Coal Crisis
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    नई दिल्ली. जहाने क तरफ देश (India) में प्रचंड रूप से गर्मी (Hot) बढ़ रही है। वहीं देश के कई राज्यों में फिलहाल कोयला संकट (Coal Shortage) गहराने लगा है। इसके चलते अब यूपी, झारखंड, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पंजाब में लोगों को भयंकर बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। जो खासकर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा की जा रही है। 

    गौरतलब है कि केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश में केवल 7 दिन का ही कोयला बचा है, जोकि 65% संयंत्रों के पास है। वहीं कोयले की कमी व गहराते संकट से संभावना जताई जा रही है कि बिजली संकट आने वाले दिनों में और भी गहरा सकती है।

    इन राज्यों में सबसे ज्यादा बिजली की किल्लत

    उत्तर प्रदेश 

    कोयले की कमी के चलते यहां कई इकाईयां फिलहाल बंद हो चुकी हैं। फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में 4-6 घंटे बिजली कटौती की जा रही है। हालांकि जिला मुख्यालयों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है। 

    महाराष्ट्र

    राज्य की उद्धव सरकार ने अब ये स्वीकार किया है कि राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती हो रही है। क्योंकि राज्य इन दिनों 1400 से 1500 मेगावाट बिजली की समस्या से जूझ रहा है। जिसके चलते लोडशेडिंग बढ़ गई है।

    झारखंड 

    झारखण्ड में जहाँ बिजली की मांग 2500 से 2600 मेगावॉट है लेकिन यहाँ बिजली आपूर्ति 2100-2300 पर है। जिसके चलते शहरों में 4 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 7 घंटे बिजली की कटौती की जा रही है। राज्य सरकार के पास मात्र 7 दिन का ही कोयला भंडार शेष है।

    उत्तराखंड

    उत्तराखंड में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट का मामला अभी और गहरा सकता है। इसके चलते अब उद्योगों में 8-10 घंटे तक बिजली की कटौती की जा सकती है। फिलहाल यहां ग्रामीण क्षेत्र में 4-5 घंटे और शहरी क्षेत्र में 2 घंटे बिजली कटौती हो रही है।

    अन्य राज्यों के हाल 

    इसी प्रकार राजस्थान में 7580 मेगावाट क्षमता वाले सभी सातों तापीय संयंत्रों के पास कोयले का स्टॉक अब कम है। तो वहीं पंजाब के राजपुरा संयंत्र में केवल 17 दिनों का कोयला भंडार शेष है। जब अन्य संयंत्रों में सिर्फ 4 दिनों का स्टॉक रिक्त है। उधर हरियाणा के पानीपत संयंत्र में फिलहाल 7 दिन और यमुनागर संयंत्र में मात्र 8 दिन का कोयले का स्टॉक शेष है।

    गौरतलब है कि देश में फिलहाल पीक अवर में बिजली की फिलहाल कुल मांग 1,88,576 मेगावाट की बताई जा रही है। लेकिन इसमें 3,002 मेगावाट की ही कमी हो रही है, वहीं दूसरी ओर कई राज्य भी बिजली की भारी कमी झेल रहे हैं।