चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा 34 साल पुराने मामले (1988 Road Rage Case) में एक साल की सजा सुनाई जाने के बाद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने पटियाला कोर्ट (Patiala Court) में सरेंडर कर दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण के बाद सिद्धू को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया है। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू का पटियाला के माता कौशल्या अस्पताल में मेडिकल जांच की जाएगी जिसके बाद उन्हें जेल में भेजा जाएगा।
न्यायिक हिरासत
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला (Surinder Dalla) ने बताया कि, उन्होंने (नवजोत सिंह सिद्धू) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। मेडिकल जांच व अन्य कानूनी प्रक्रियाएं अपनाई जाएंगी। जिसके बाद उन्हें जेल में भेजा जाएगा।
Patiala, Punjab | He (Navjot Singh Sidhu) has surrendered himself before Chief Judicial Magistrate. He is under judicial custody. Medical examination and other legal procedures will be adopted: Surinder Dalla, media advisor to Congress leader Navjot Singh Sidhu pic.twitter.com/U13TDDOPju
— ANI (@ANI) May 20, 2022
अदालत से नहीं मिली राहत
इससे पहले नवजोत सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कि थी। जिसमें उन्होंने सरेंडर के लिए एक हफ्ते की मोहलत मांगी थी। साथ ही उन्होंने इसमें अपने बीमार होने का हवाला भी दिया था। लेकिन अदालत से उन्हें कोई भी राहत नहीं मिली है। बता दें कि, कल उच्चतम न्यायलय ने 1988 के रोड रेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सश्रम करवास की सजा सुनाई है। अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा था कि अपर्याप्त सजा देने के लिए किसी भी अनुचित सहानुभूति से न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान होगा और इससे कानून पर जनता का भरोसा कम होगा।
1,000 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया था
गौरतलब है कि 15 मई, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1988 के रोड रेज मामले में मात्र 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया था। इस घटना में पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दोषी ठहराया था और उन्हें 3 साल की जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन SC ने उन्हें 30 साल से अधिक पुरानी घटना बताते हुए 1000 रुपये के मामूली जुर्माने पर छोड़ दिया था।
पीड़ित पक्ष ने दाखिल की थी पुनर्विचार याचिका
बता दें कि, उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ पीड़ित पक्ष ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। जिसमें उन्होंने मांग की थी कि हाई कोर्ट की तरह सिद्धू को 304 आईपीसी के तहत सजा होनी चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने सिद्धू पर आईपीसी की धारा 304ए के तहत गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाने की याचिका खारिज कर दी।