नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नफरत भरे भाषणों को ‘बहुत ही गंभीर मुद्दा’ करार देते हुए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) की सरकारों को निर्देश दिया कि वे ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज होने का इंतजार किए बिना दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले तुरंत दर्ज करें। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की देरी अदालत की अवमानना के दायरे में आएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने देश में नफरत भरे भाषणों की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं।” सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, “इस तरह के बयान (अभद्र भाषा) परेशान करने वाले हैं, खासकर ऐसे देश के लिए जो लोकतांत्रिक और धर्म-तटस्थ है।”
Supreme Court expresses concern over the incidents of hate speeches in the country and observes, “where have we reached in the name of religion”
Supreme Court says that such statements (hate speech) are disturbing, especially for a country that is democratic & religion-neutral pic.twitter.com/dfhtHllr7d
— ANI (@ANI) October 21, 2022
दरअसल सुप्रीम कोर्ट भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और आतंकित करने के कथित बढ़ते खतरे को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किया और उनसे अपने अधिकार क्षेत्र में ऐसे अपराधों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा। SC ने राज्य सरकारों और पुलिस अधिकारियों को औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना अभद्र भाषा के मामलों में स्वत: संज्ञान लेने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कार्रवाई करने में विफलता दोषी अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना को आकर्षित करेगी।