नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने विधानसभा (Punjab Assembly) द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने को लेकर पंजाब सरकार (Punjab Government) और राज्यपाल के बीच जारी गतिरोध को शुक्रवार को “गंभीर चिंता” का विषय बताया और कहा कि राज्य में जो हो रहा है उससे वह खुश नहीं है। भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब सरकार और राज्यपाल दोनों से कहा, “हमारा देश स्थापित परंपराओं और परिपाटियों से चल रहा है और उनका पालन करने की जरूरत है।”
पीठ ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति नहीं देने के लिए पंजाब के राज्यपाल पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा “आप आग से खेल रहे हैं।” साथ ही पीठ ने विधानसभा सत्र को असंवैधानिक करार देने की उनकी शक्ति पर सवाल उठाया। पीठ ने पंजाब सरकार से भी सवाल किया कि उसने विधानसभा के बजट सत्र की बैठक को स्थगित क्यों किया, सत्रावसान क्यों नहीं किया गया।
Supreme Court calls that Vidhan Sabha conducted by Punjab Assembly on June 19 and June 20 valid
SC says that the governor of Punjab must now proceed to take decisions on bills submitted for assent which were passed by the house conducted on June 19-20 2023 which was… pic.twitter.com/J0gcfCFrUw— ANI (@ANI) November 10, 2023
राज्यपाल जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं
पीठ ने कहा कि वह विधेयकों को मंजूरी देने की राज्यपाल की शक्ति के मुद्दे पर कानून तय करने के लिए एक संक्षिप्त आदेश पारित करेगी। छह नवंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य के राज्यपालों को इस तथ्य से अनजान नहीं रहना चाहिए कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं। इसने राजभवन द्वारा राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई नहीं करने पर अपनी चिंता व्यक्त की, और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Punjab Governor Banwarilal Purohit) द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था।
प्रशासन को “ठप्प” कर दिया
पंजाब सरकार ने पूर्व में राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की ओर से मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की “असंवैधानिक निष्क्रियता” ने पूरे प्रशासन को “ठप्प” कर दिया है।
विधेयकों को रोक नहीं सकते राज्यपाल
इसमें कहा गया है कि राज्यपाल अनिश्चितकाल तक विधेयकों को रोक नहीं सकते क्योंकि उनके पास संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत सीमित शक्तियां हैं, जो किसी विधेयक पर सहमति देने या रोकने या राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को रखने की राजभवन की शक्ति से संबंधित है। पंजाब के राज्यपाल का मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है। (एजेंसी)