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    नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल की तेजतर्रार मुख्यमंत्री (West Bengal) और राज्य में ‘दीदी’ के नाम से जाने जाने वाली ममता बनर्जी (Mamata Banerjee 68th Birthday Today) का आज यानी 5 जनवरी को 68वां जन्मदिन है। सिर्फ 15 साल की छोटी उम्र में राजनीति में उतरने के बाद साल 1984 के आम चुनाव में सबसे कम उम्र की सांसद बनने और फिर वामपंथी दलों का गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल से उन्हीं को वहां से बाहर का रास्ता दिखा कर सत्ता हासिल करने तक ‘दीदी’ का सफर बड़ा ‘दिलचस्प’ औत ‘साहसिक’ रहा है।

    जन्म और शिक्षा-दीक्षा 

    जानकारी दें कि ममता का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता के एक बड़े ही निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। वहीं लंबी बीमारी के चलते जब उनकी मौत हुई तब ममता की उम्र महज 7 साल थी। जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर थी। ममता ने फिर घर-घर दूध बेचकर अपने भाई-बहन का पालन पोषण किया और खुद भी अपनी पढ़ाई पूरी की। पता हो कि, TMC की नींव रखने वाली ममता बनर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से लॉ में स्नातक और आर्ट्स में मास्टर भी किया है। 

    राजनीतिक जीवन 

    कॉलेज में छात्र परिषद चुनावों को जीतने के बाद ममता बनर्जी ने 70 के दशक में कॉलेज में कांग्रेस पार्टी के जरिए राजनीति में सक्रिय हुई और बहुत जल्द पार्टी में उनका कद भी बढ़ता चला गया। उन्हें बाद में महिला कांग्रेस का महासचिव भी बना दिया गया था।

    लेकिन फिर 1984 में ऐसा कारनाम हुआ, जिसका किसी को भी भान नहीं था। उस वक्त CPM के सोमनाथ चटर्जी राजनीति के ऐसे दिग्गज थे जिन्हें हराना किसी भी नए राजनेता के लिए नाममुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव था। लेकिन 1984 में चली ममता की आंधी के आगे वह भी नतमस्तक हो गए, तब आम चुनाव में उतरी ममता से जादवपुर लोकसभा सीट से उन्होंने सोमनाथ चटर्जी को हरा दिया। 

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    इस चुनाव के जीतने के साथ ही ममता 1984 के आम चुनाव में भारत की सबसे कम उम्र की सांसद बनी। इसके बाद फिर वे 1991 में राव सरकार में बनर्जी मानव संसाधन विकास, युवा मामले, खेल व महिला और बाल विकास राज्यमंत्री जैसे बड़े और अहम पद पर रही। 1996, 1999, 2004 और 2009 में ममता बनर्जी कोलकाता सीट से लोकसभा चुनाव भी जीती।

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    इसके बाद फिर 1997 में उन्होंने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) बना ली और कांग्रेस से अलग हो गई। TMC की अध्यक्ष बनकर साल 2011 में वाम दलों की दशकों पुरानी सत्ता को उन्होंने मानों पश्चिम बंगाल से उखाड़ फेंका और बंगाल में जैसे एक नए सूरज का उदय किया और राज्य में अपनी सरकार की नींव रखकर खुद मुख्यमंत्री बनी। यहीं से ममता बनर्जी की जीत का जो दौर शुरू हुआ तो उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

    राजनीति के साथ व्यक्तित्व के अन्य आयाम 

    जानकारी दें कि वह एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक पेंटर, लेखिका और कवियत्री भी हैं। वहीं साल 2011 में टाइम मैगनीज ने ममता बनर्जी को दुनिया 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल किया था। उन्हें महान कवि काजी नजरूल इस्लाम के गीत और कविताएं भी बेहद पसंद हैं। उन्होंने खुद बहुत सी कविताएं, निबंध और नॉवेल लिखे हैं। वहीं उनकी पेंटिंग्स की ब्रिक्री से मिला धन उनकी पार्टी को ही सेवा कार्य के लिए दे दिया जाता है।

    All Pic: Twitter/ Social Media