क्या CM की कुर्सी डाल देगी भाजपा में फूट

भोपाल. मध्यप्रदेश में भाजपा अब तक बहुमत साबित भी नहीं कर पाई और मुख्यमंत्री को लेकर चिंता शुरू हो गई हैं। जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में कदम रखा है तभी से मध्यप्रदेश राजनीति में भूचाल सा आ

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भोपाल. मध्यप्रदेश में भाजपा अब तक बहुमत साबित भी नहीं कर पाई और मुख्यमंत्री को लेकर चिंता शुरू हो गई हैं। जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में कदम रखा है तभी से मध्यप्रदेश राजनीति में भूचाल सा आ गया हैं। सूचना के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान CM कि कुर्सी की रेस में सबसे आगे हैं लेकिन भाजपा के एक और वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा का भी नाम सामने आ रहा हैं। वही यह भी चर्चा होने लगी है कि कही भाजपा हाईकमान सिंधिया को ही मुख्यमंत्री कि कुर्सी पर न बैठा दे। 

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हलाकि उम्मीद यही है कि कुर्सी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कि ही होगी क्योंकि उनके पास बाकियों से ज्यादा अनुभव हैं। लगातार तीन कार्यकाल उन्होंने सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। चौहान ने ऐसे समय मध्यप्रदेश में भाजपा को संभाला जब उमा भारती की बगावत के बाद पार्टी संकट में थी। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान ने ही भाजपा कि लाज रखी और 3 कार्यकाल तक सरकार को गिरने नहीं दिया।

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लेकिन इन बातो से परे एक नाम फिर भी बाहर आया हैं, दतिया से विधायक और पूर्व संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा। मंगलवार शाम को भाजपा विधायक दल की बैठक में आंतरिक गतिरोध नजर आया। जिसके बाद दोनों नेता आमने सामने होते नज़र आए। कांग्रेस में सियासी संकट के समय शिवराज पर नरोत्तम के समर्थकों ने सवाल भी उठाए। इस बीच भोपाल में भाजपा दफ्तर के पास ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्वागत में पोस्टर लगाए गए हैं। पोस्टर में सिंधिया के साथ नरोत्तम मिश्रा की तस्वीर है।

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मध्यप्रदेश की राजनीति  में नरोत्तम मिश्रा और शिवराज को अलग-अलग ध्रुव माना जाता है। सूचना के अनुसार चुनाव के बाद भी शिवराज ने नरोत्तम के नाम का विरोध किया था और इसी वजह से नेता विपक्ष का पद गोपाल भार्गव को दिया गया। मिश्रा का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी प्रस्तावित था लेकिन RSS के करीबी माने जाने वाले वीडी शर्मा को जिम्मेदारी मिली।

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अब एक सवाल ये भी खड़ा होता है कि कही ज्योतिरादित्य सिंधिया को मौका नहीं दिया जाए। इतनी सारी उठा पटक में अब देखना यह है कि कुर्सी किसकी होगी। हलाकि इसका फैसला भाजपा के आलाकमानो के हाथो में है। 16 मार्च को इसका फैसला हो ही जाएगा की सरकार किसकी होगी और इस फैसले के बाद CM कि कुर्सी के हकदार का नाम भी सामने आ ही जाएगा।