कोरोना महामारी में जिनका विधि-विधान से नहीं हुआ है अंतिम संस्कार, जानें कैसे घर पर ही आसानी से करें श्राद्ध

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    आज 20 सितंबर से  पितृ पक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत हो गई है। 20 सितंबर से लेकर 6 अक्टूबर तक पितरों की आत्मा की शांति के श्राद्ध किये जाएंगे। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, तीर्थ स्थलों पर जाकर श्राद्ध करने का बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि मरे हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से किया जाना चाहिए। तीर्थ स्थलों पर जाकर श्राद्ध करने से महत्व बढ़ जाता है। लेकिन इस कोरोना महामारी के कारण तीर्थ स्थानों पर जाकर श्राद्ध नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आप घर पर ही आसानी से पूरे विधि-विधान से श्राद्ध कर सकते है। कोरोना काल में कई लोगों को अंतिम-संस्कार विधि-विधान से नहीं हो पाया है। ऐसे में उनकी आत्मा की शांति के लिए घर पर ही ग्रंथों के उपाय से आत्मा की शांति किया जा सकता है। 

    पूजा की सामग्री 

    श्राद्ध में पितरों के तर्पण के लिए ब्राह्मण भोज और पिंडदान ये ही उपाय खास लोग करते है। पितरों के तर्पण के लिए पूजा-पाठ में उपयोग होने वाले साफ बर्तन  जौ, तिल, चावल, कुशा घास, दूध और पानी की जरूरत होती है। इसके साथ ही  चावल और उड़द का आटा भी जरूरी होता है। श्राद्ध में ब्राह्मणों को खिलाने वाला भोजन सात्विक हो, उसे कम तेल, मिर्च मसाले वाला होना चाहिए। भोजन में चावल अवश्य होना चाहिए। इसलिए श्राद्ध में खीर बनाई जाती है। 

    साल के 1 से लेकर 365 दिन श्राद्ध की व्यवस्था

    श्राद्ध में पितरों की पूजा उनकी आत्मा की शांति के सुविधाओं के अनुसार उपाय दिए गए है। साल के 1 दिन से 365 दिन तक श्राद्ध करने के उपाय है। हर दिन श्राद्ध करने वाले लोगों के लिए  नित्य श्राद्ध का विधान है। लेकिन अगर आपके पास समय की कमी होने की वजह से श्राद्ध न कर पाने से साल भर में  12 अमावस्याएं, 12 संक्रांतियों, 16 दिन के पितृ पक्ष सहित साल में 96 दिन बताए गए हैं, जिनमें श्राद्ध किया जा सकता है। अगर  इन दिनों में श्राद्ध न हो पाए तो पितृ पक्ष के 16 दिनों में कर सकते हैं। पूरे 16 दिन भी न हो पाए तो सिर्फ एक दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने से पितरों को तृप्ति मिल जाती है।