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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाने वाला ‘गणगौर’ का त्योहार (Gangaur Puja 2023 Date) इस वर्ष 24 मार्च 2023, शुक्रवार के दिन हैं। सनातन धर्म में गणगौर पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस पर्व में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि विधान से की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, गण का अर्थ भगवान शिव एवं गौर का अर्थ माता पार्वती से है। खासतौर पर गणगौर तीज का व्रत मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है।

यह पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर चैत्र शुक्ल की तृतीया को गणगौर तीज पर व्रत पूजन के साथ समाप्त होता है। इस तरह यह पर्व पूरे 16 दिनों तक चलता है। यह दिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि विवाह योग्य कन्याएं मनपसंद वर या जीवनसाथी की कामना से ‘गणगौर तीज व्रत’ रखती हैं। आइए जानें गणगौर पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

तिथि और शुभ मुहूर्त

गणगौर 2023 की तिथि- 24 मार्च 2023, शुक्रवार

तृतीया तिथि प्रारंभ- 23 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 20 मिनट पर

तृतीया तिथि समापन- 24 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 59 मिनट

 कैसे होती है ‘गणगौर पूजा’  

गणगौर की पूजा को लेकर लोगों में अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। राजस्थान में ये पर्व होली के दिन से शुरू होकर 16 दिन तक चलता हैं। इन दिनों में रोजाना शिव-पार्वती की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा की जाते हैं।

गीत गाए जाते हैं। और फिर चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानी गणगौर पूजा वाले दिन महिलाएं व्रत-पूजा कर कथा सुनती, मैदा, बेसन या आटे में हल्दी मिलाकर गहने बनाए जाते हैं और माता को चढ़ाते हैं। फिर महिलाएं झालरें देती हैं। नदी या सरोवर के पास मूर्ति को पानी पिलाया जाता है और फिर अगले दिन इनका विसर्जन होता है। जहां पूजा की जाती है उस जगह को गणगौर का पीहर और जहां विसर्जन होता है वो जगह ससुराल माना जाता है। गणगौर वाले दिन विवाहित महिलाओं को सुहाग की सामग्री जरूर बांटनी चाहिए।  इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है।

धार्मिक महत्व

गणगौर व्रत का विशेष महत्व है। इस पर्व को सुहागन और कुंवारी कन्याएं धूमधाम से मनाती है। इस दिन माता पार्वती और शिव जी की पूजा करने का विधान है। महिलाएं पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा पति पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत की सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस व्रत के बारे में पत्नी अपने पति को नहीं बताती है और न ही प्रसाद खाने के लिए देती हैं।