रथ यात्रा में सबसे आगे और सबसे पीछे किनका होता है रथ, जानें भगवान जगन्नाथ के रथ का क्या है नाम?

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    -सीमा कुमारी

    सनातन धर्म के चार धाम में से एक धाम है – जगन्नाथ पुरी। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। पुरी भारत के ओडिशा राज्य के समुद्र तट पर स्थित है। ‘जगन्नाथ’ का अर्थ ‘जगत के स्वामी’ होता है। इसलिए पुरी नगरी को ‘जगन्नाथपुरी’ पुकारा जाता है।

    इस साल ‘रथयात्रा’ है इस दिन

    जगन्नाथ रथयात्रा प्रति वर्ष आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है और शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन समाप्त होती है। इस साल रथ यात्रा के उत्सव की शुरुआत आज यानी 01 जुलाई 2022, दिन शुक्रवार से हो रही है। रथयात्रा के दिन ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के बीच भक्तगण रथों को खींचते हैं।

    रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ

    रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। तीनों के रथ को खींचकर मौसी के घर, गुंडीचा मंदिर लाया जाता है, जो कि जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर पर है।

    भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम है ‘नंदीघोष

    बलरामजी के रथ को ‘तालध्वज’ कहते हैं, जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है, जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदीघोष’ या ‘गरुड़ध्वज’ कहते हैं। इसका रंग लाल और पीला होता है।

    रथ खींचने अथवा रथयात्रा में दर्शन मात्र से मिलता है मोक्ष

    मान्यता है कि, रथयात्रा में रथ खींचने अथवा रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं के 100 जन्मों के पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आपको याद दिला दें कि इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि 30 जून को सुबह 10:49 बजे से शुरू होकर 1 जुलाई को दोपहर 01:09 बजे समाप्त होगी। इसलिए जगन्नाथ यात्रा शुक्रवार 1 जुलाई से आरंभ होगी।