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    सीमा कुमारी

    मुस्लिम समुदाय के पाक महीने रमजान (Ramzan) का आगाज होने ही वाला है। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक, नवां महीना रमजान का होता है। रमजान के पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग निर्जल और निराहार रहकर रोजा (उपवास) रखते हैं। इस्लाम  धर्म के लोगों के लिए रमजान का महिना बहुत ही पाक महीना होता है। यह बरकतों, रहमतों का महीना माना जाता है। पूरे महीने इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग अल्लाह की इबादत (Worship) करते हैं, नमाज अदा करते हैं और कुरान भी पढ़ते हैं।

     इस दिन से उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार में रमजान

    रमजान इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, चांद देख कर रमजान के पवित्र महीने की शुरूआत होती है, जबकि इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना रमजान है। इस्लामिक कैलेंडर और सोलर कैलेंडर की तुलना करने पर, रमजान की पहली तारीख रविवार 3 अप्रैल को पड़ती है। संभव है कि, इस बार रमजान के पहले रोजे की शुरुआत इसी दिन से हो, हालांकि रमजान महीने की तारीख चांद दिखने पर ही तय होगी। रमजान का आखिरी रोज़ा 3 मई को खत्म हो सकता है।

    यूं तो पूरे भारत में रमजान की शुरुआत एक ही दिन से होती है, लेकिन केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां रमजान दूसरे राज्यों के मुकाबले एक दिन पहले शुरू होता है। केरल के मुसलमान मध्य एशिया यानि अरब के मुताबिक रोज़ा रखते है। ऐसी मान्यता है, चांद निकलने का मतलब अरब सागर और मध्य एशिया है, जिसमें केरलवासी भी अपने आपको शामिल करते है।  

     क्यों है ख़ास ‘रमजान’

    इस्लाम धर्म में रमजान के पाक महीने का एक विशेष महत्व है। इस महीने में दुनिया भर के मुसलमान के जरिये रोज़ा यानि उपवास की प्रथा का पालन सबसे महत्वपूर्ण प्रथाओं में से एक है। रमजान का रोजा इस्लाम के पांच स्तंभ तौहीद (एकेश्वरवाद), सलात (नमाज), जकात (दान), रोज़ा और हज़ में से एक है।

    इस्लाम की सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान की पहली आयत रमजान के महीने में पैगंबर हजरत मोहम्मद पर उतारी गई थीं। रोज़ा, रोजेदारों को आध्यात्मिकता और दान पर ध्यान लगाने के लिए प्रेरित करता है। यह रोज़ेदारों में आत्मसंयम और गरीबों और मजलूमों के दर्द को समझने में मदद करता है, साथ ही यह रोजेदारों के जिस्म और दिमाग को शुद्ध करने में मदद करता है।

    रोज़ा” शब्द का हिंदी अर्थ “व्रत” होता है। जबकि रोज़ा का अरबी में अर्थ “सोम” होता है और इसी शब्द से रोज़ा की उत्पत्ति हुई है। “सोम” का शब्दकोश में जो अर्थ है वह है, “किसी चीज से रुकना या किसी चीज को छोड़ देना है.” इसी प्रकार रोजेदार वह है जो स्वयं को खाने-पीने और बुरे आदतों से रोकता है जैसे झूट बोलना, निंदा करना, गलत देखना, गलत बात करना आदि।