आज है फरवरी महीने का ‘प्रदोष’, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: फरवरी महीने का पहला ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat rat) 2 फरवरी, गुरुवार के दिन है। सनातन धर्म में हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए ये व्रत विशेष फलदायी माना गया है। इस बार ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh vrat ) गुरुवार के दिन होने से यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा।

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग प्रदोष व्रत रखते हुए संध्या के समय भोलेनाथ की विधिवत पूजा आराधना करते हैं, उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इससे सुख समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जातक के सभी दोष मिट जाते हैं। आइए जानें प्रदोष व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का समय।

    शुभ मुहूर्त  

    पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 फरवरी 2023 को पड़ रही है। गुरु प्रदोष  व्रत की शुरुआत 2 फरवरी 2023 को शाम 4 बजकर 26 मिनट से होगी और इसका समापन 3 फरवरी शाम 6 बजकर 57 मिनट पर होगा। ‘गुरु प्रदोष व्रत’ की पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजकर 1 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के अनुसार, ‘गुरु प्रदोष व्रत’ 2 फरवरी को रखा जाएगा।

    पूजा विधि

    शास्त्रों में बताया गया है कि गुरु प्रदोष व्रत के दिन व्यक्ति को जल्दी उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए और भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए। भगवान शिव की पूजा से पहले दीपक प्रज्वलित करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा को आरंभ करें। पूजा काल में भगवान शिव को गाय का दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल इत्यादि अर्पित करें। साथ ही इस विशेष दिन पर शिवलिंग पर पुष्प, बेलपत्र, भांग धतुरा आदि भी अर्पित करें। फिर विधिवत पूजा के बाद भगवान शिव की आरती करें और अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांग लें।

    महत्व

    ‘प्रदोष व्रत’ को हिन्दू धर्म में बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की आराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार, एक ‘प्रदोष व्रत’ करने का फल दो गायों के दान जितना होता है। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रातः काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल अक्षत धूप दीप सहित पूजा करें, और संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिवजी की पूजा करना चाहिए।  इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है।