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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: फरवरी महीने यानी फाल्गुन महीने का दूसरा ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) आज यानी 18 फरवरी, शनिवार के दिन है। ‘प्रदोष व्रत’ व प्रदोषम व्रत एक प्रसिद्ध हिन्दू व्रत है, जो कि भगवान शिव का आर्शीवाद पाने के लिए किया जाता है। ‘प्रदोष व्रत’ प्रत्येक महीने में दो बार आता है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में।

इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाला ‘प्रदोष व्रत’ शनिवार को है। ये साल 2023 का पहला ‘शनि प्रदोष व्रत’ (Shani Pradosh Vrat) होगा। ‘प्रदोष व्रत’ भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने वालों को शनि और शिव की कृपा से वैवाहिक जीवन में सुख बढ़ता है। लंबी उम्र के साथ अच्छी सेहत भी मिलती है। साथ ही संतान सुख प्राप्त होता है। आइए जानें इस साल के पहला ‘शनि प्रदोष व्रत’ की तिथि मुहूर्त और महत्व-  

तिथि  

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 18 फरवरी 2023, शनिवार को रखा जाएगा। ये साल का पहला शनि प्रदोष व्रत होगा। इस दिन ‘महाशिवरात्रि’ का संयोग भी बन रहा है। ‘महाशिवरात्रि’ और ‘प्रदोष व्रत’ भोलेनाथ को अति प्रिय है। इस दुर्लभ संयोग में शिव शंभू की उपासना से साधक को दोगुना फल प्राप्त होगा।

शुभ-मुहूर्त

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 फरवरी 2023 को रात 11 बजकर 36 मिनट से शुरू हो रही है। त्रयोदशी तिथि का समापन 18 फरवरी 2023 शनिवार को रात 8 बजकर 2 मिनट पर हो रहा है। प्रदोष व्रत में शिव की पूजा संध्या काल में की जाती है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्नचित मनोदशा में होते हैं।

शिव पूजा मुहूर्त

शाम 6.03 बजे से रात 8.02 (18 फरवरी 2023)

इस बार 18 फरवरी को महाशिवरात्रि व्रत भी रखा जाएगा और प्रदोष व्रत भी इसी दिन पड़ रहा है। दोनों व्रत भगवान शिव को समर्पित हैं और ऐसे में यदि विधि-विधान के साथ पूजन किया जाए तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।    शनि प्रदोष व्रत के दिन शाम 5 बजकर 42 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 6 बजकर 56 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। महिलाएं यह व्रत घर में सुख-शांति और समृद्धि की कामना से रखती है। साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत काफी महत्वपूर्ण माना गया है।

महत्व  

भगवान शिव न्यायाधीश शनिदेव के गुरु हैं। शनिवार को ‘प्रदोष व्रत’ होने से शनि संग शिवजी का भी आशीर्वाद मिलता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए ‘शनि त्रयोदशी’ का व्रत विशेष रूप से सौभाग्यशाली माना जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक, ‘शनि प्रदोष व्रत’ के प्रभाव से निसंतान दंपत्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि भगवान शिव ने प्रदोष तिथि के दिन ही सृष्टि का निर्माण किया था और इसी दिन विलय भी करेंगे।