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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशी पड़ती है। इसके हिसाब से हर माह 2 एकादशी पड़ती है जिनका अपना-अपना महत्व है। चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘पापमोचनी एकादशी’ (Papmochani Ekadashi 2023) के नाम से जाना जाता है। इस साल ये एकादशी आज यानी 18 मार्च, शनिवार के दिन है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से समस्त पापों का नाश हो जाता है। यह एकादशी होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच आती है। आइए जानें’पापमोचनी एकादशी’ का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि।

तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल 2023 में पापमोचनी एकादशी 18 मार्च, शनिवार को है।

इस एकादशी की तिथि की शुभ शुरुआत 17 मार्च 2023 को दोपहर 2 बजकर 6 मिनट पर होगी।

एकादशी की समाप्ति 18 मार्च 2023 को 11 बजकर 13 मिनट पर होगी।

व्रत पारण समय 19 मार्च 2023 को सुबह 6 : 26 बजे से 8 : 7 बजे तक रहेगा।

पूजा विधि

एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। भगवान को पीले रंग के फूल अर्पित करें। इसके बाद सिंदूर या चंदन से तिलक लगाएं, तुलसी के साथ भोग में कोई मिठाई अर्पित करें। इसके बाद जल अर्पित करें। फिर घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद पापमोचनी एकादशी की कथा पढ़ें और अंत में आरती कर लें। दिनभर व्रत रखें। दूसरे दिन व्रत का पारण करके अन्न ग्रहण करें। इसके साथ ही एकादशी वाले दिन अपनी योग्यता के हिसाब से गरीब ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।

धार्मिक महत्व

पापमोचनी एकादशी से तात्पर्य है पाप नष्ट करने वाली एकादशी। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पुरोहितों के अनुसार इस व्रत को रखने वाले शख्स को व्रत के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति ब्रह्म हत्या, स्वर्ण चोरी, मदिरापान, भ्रूण नष्ट करने जैसे जघन्य पापों से मुक्त हो जाता है। यह भी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भक्त के घर में सुख संपत्ति आती है। एकादशी तिथि को जागरण से कई गुना फल प्राप्त होता है।