Sankashti Chaturthi

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: आषाढ़ महीने की ‘संकष्टी चतुर्थी’ (Sankashti Chaturthi 2023) का व्रत इस बार आज यानी 7 जून, बुधवार को हैं। सनातन धर्म में गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है, इन्हें प्रथम पूजनीय की उपाधि दी गई है। शास्त्रों के अनुसार गणपति की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरे नहीं होते। हर माह में गणेश जी की उपासना के लिए चतुर्थी का दिन उत्तम माना जाता है। आइए जानें कृष्णपिङ्गल संकष्टी व्रत की तिथि,मुहूर्त और महत्व।

 तिथि

आषाढ़ माह की कृष्णपिङ्गल ‘संकष्टी चतुर्थी’ का व्रत 7 जून 2023, बुधवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि ‘संकष्टी चतुर्थी व्रत’ में चंद्रमा की पूजा एवं उनका दर्शन करते हैं। चंद्रदर्शन के बिना ‘संकष्टी चतुर्थी’ का व्रत अधूरा माना जाता है।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी तिथि 7 जून 2023 को सुबह 12 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और इसी दिन रात को 9 बजकर 50 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। पंचांग के अनुसार इस साल कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय समय प्राप्त नहीं है। दरअसल इस दिन चंद्रमा रात 10 बजकर 50 मिनट पर उदय होगा लेकिन चतुर्थी तिथि 07 जून को रात 09.50 मिनट पर ही समाप्त हो रही है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी।

पूजा विधि

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गणेशजी के व्रत का संकल्प लें।
  • फिर शाम के समय पूजा स्थान की साफ सफाई करें और गंगाजल से स्थान को पवित्र कर लें।
  • इसके बाद भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं। और मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  • इसके बाद गणेश जी का तिलक करें और पुष्प अर्पित करें। साथ ही भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। इतना ही नहीं गणेश जी को घी में मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
  • पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें। अंत में भूल चूक के लिए माफी जरुर मांग लें।

महत्व

गणेशजी को प्रथम पूजनीय देवता कहा गया है। ऐसे में ‘संकष्टी चतुर्थी’ का व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है साथ ही इस व्रत को रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी हो जाती है।