
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: हर साल कार्तिक महीने (Kartik Month 2023) की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja 2023) मनाई जाती है। 17 नवंबर से शुक्रवार, नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। इस महापर्व छठ व्रत में व्रती को कई कठिन साधनाओं से होकर गुजरना पड़ता है। वहीं, अगर छठ पर्व की बात करें तो, इस पर्व को कार्तिक महीने में मनाया जाता है। वही इस की शुरुआत नहाय-खाय से शुरू होकर प्रात कालीन अर्घ्य देने के साथ इसका समापन किया जाता है। इस पर्व में कई ऐसी नियम है जिसको मानना पड़ता है।
इसमें मुंह धोने से लेकर खाने और कपड़े तक का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है। यह पर्व लोक आस्था के साथ साक्षात दिखने वाले सूर्य देव हैं, जो लोगों को अपने प्रकाश में रखते और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस व्रत को करने वाले आखिर आम की लकड़ी से दातुन क्यों करते है? आइए जानें इस पर विशेष जानकारी पंडित दयानंद मिश्रा जी से-
पंडित दयानंद मिश्रा जी कहते हैं कि, इस छठ महापर्व को साक्षात सूर्यदेव की आराधना कराते है। जिससे लोगों को जीने के लिए हर तमाम ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा इस पर्व में बहुत मान्यताएं हैं, जिसमें एक खास मान्यताएं।
छठ व्रती आम के दातून से अपना मुंह धोती हैं इसके पीछे की रहस्य है कि आम के दातून से मुंह धोने से दांत से खून नहीं निकलता। आम अत्यंत पवित्र होता है। विवाह में जनेऊ में किसी या किसी भी शुभ कार्य में आम पल्लव, आम का लकड़ी, आम की लकड़ी की बनी वस्तुओं का प्रयोग अवश्य होता है।
इसलिए हिंदू धर्म में आम सर्वोत्तम माना गया है। पंचपल्लव में सबसे अति उत्तम आम है। इसलिए उसका स्वाद भी सबसे भिन्न होता है। आम का दातुन अत्यंत कोमल होता है। दांत और मसूड़ों में किसी तरह का दबाव नहीं हो व्रती को किसी तरह का कष्ट नहीं हो इसके लिए पूर्वजों और संतों के काल से ही आम को मान्यता दी गई है। आम के दातुन से व्रती महिला और पुरुष अपने दांत धोती है। उन्होंने कहा आम का दातुन गैस के लिए सही है। चार दिन छठ व्रती उपवास में रहती है। ऐसे में गैस की समस्या हो जाती है। आम के दातुन से गैस समाप्त होता है। मन उसका प्रसन्न रहता है। प्रफुल्लित रहता है, इसलिए उसको कोई परेशानी नहीं होती।