Chaitra Navratri 2024, maa Kalratri
मां कालरात्रि का करें पूजन (सोशल मीडिया)

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सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: नौ दिवसीय ‘चैत्र नवरात्रि'(Chaitra Navratri 2024) उत्सव का आज यानी 15 अप्रैल जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप ‘मां काली’ (Maa Kali) समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा करने से जीवन में व्याप्त भय और दुखों से मुक्ति मिलती है। गुप्त शत्रुओं का भी नाश होता है। अगर आप अपने जीवन से सभी समस्याओं को खत्म करना चाहते हैं, तो देवी मां की विधि-विधान से आराधना करनी चाहिए। नीला रंग देवी कालरात्रि को समर्पित माना जाता है। यही कारण है कि भक्तों को देवी को आर्किड फूल अर्पित करने चाहिए।

ज्योतिषियों की मानें तो, चैत्र नवरात्र के सातवें दिन भद्रावास का योग बन रहा है। इस योग में मां की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानें नवरात्रि के सातवें दिन का पूजा विधि और इसकी महिमा-

शुभ मूहर्त

चैत्र नवरात्र की सप्तमी तिथि सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी। जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां काली की पूजा निशा काल में होती है। अतः निशा काल में पूजा की जाएगी। तंत्र सीखने वाले साधक के लिए यह दिन विशेष होता है। इस दिन दुख हरने वाली मां काली की पूजा करने से सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।

ऐसे करें मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा

इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद देवी मां का गंगा जल से अभिषेक करें।
अब कुमकुम का तिलक लगाएं।

देवी मां के सामने दीपक जलाएं और लाल गुड़हल की माला चढ़ाएं।
माता को प्रसन्न करने के लिए लौंग और कपूर अर्पित करें।

घर का बना हुआ भोग और गुड़ का भोग लगाएं।
वैदिक मंत्रों का जाप करें, साथ ही हवन भी करें।
शाम के समय माता रानी की आरती करें।

मां कालरात्रि स्वरूप

सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। सातवें दिन, भक्त देवी कालरात्रि की पूजा करते हैं। यह मां दुर्गा का उग्र स्वरूप हैं। देवी काली को राक्षसों, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करने के लिए जाना जाता है। यह भक्तों के जीवन से अंधकार को भी दूर करती हैं। देवी कालरात्रि का रंग अंधेरी रात के समान गहरा माना गया है। खुले बाल और गले में मुंड माला उनके स्वरूप को उग्र रूप में प्रदर्शित करता है। गधे पर सवार होकर देवी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।