कोरोना काल में आस्था का डिजिटलाइजेशन

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  • वक्त के साथ बढ़ता तकनीक का प्रजेंटेशन
  • ऑनलाइन मनेगी इस्कॉन मंदिरों में जन्माष्टमी
  • दुनिया के लाखों भक्त कर सकेंगे दूर से दर्शन
  • लॉक डाउन में सोशल डिस्टेंसिंग बनी समस्या
  • अन्य मंदिरों में भी भीड़ रोकने भक्तों की नो एंट्री

मुंबई. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते एक एक कर सभी त्यौहारों को हर्षोल्लास से मनाने की परंपरा सोशल डिस्टेंसिंग की भेंट चढ़ती जा रही है. इस चुनौतीपूर्ण समय में जब साढ़े चार महीने से सभी मंदिरों पर ताले लगे हुए हैं तो आस्था को भी अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए डिजिटल होना पड़ रहा है. यह सिलसिला देश में 25 मार्च से लॉक डाउन की शुरुआत से पहले से चल पड़ा है क्यूंकि लगभग सभी मंदिरों के कपाट सुरक्षा की दृष्टि से 16 मार्च या उससे पहले ही बंद होने लगे थे. तब से आज तक पड़ने वाले सभी त्योहार कोरोना के शिकार हो गए हैं. और अब कड़ी में जन्माष्टमी त्यौहार भी जुड़ गया है.

सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए इंटरनेशनल सोसायटी फार कृष्णा कॉनससनेस (इस्कॉन) ने 12 अगस्त को वर्चुअल राधाकृष्ण उत्सव मनाने का निर्णय किया है. मुंबई में इस्कॉन द्वारा इसके चारों मंदिरों में, जुहू, गिरगांव, मीरा रोड तथा नवी मुंबई के कोपरखैरने में जन्माष्टमी, राम नवमी समेत अनेक सनातन पर्व आयोजित किए जाते हैं. इसके तहत यूट्यूब, फेसबुक, मोबाइल ऐप पर लाइव कवरेज दिखाकर पहली बार भक्तों को वर्चुअल जन्माष्टमी में घर बैठे शामिल किया जाएगा. चूंकि लॉकडाउन के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना बड़ी चुनौती बनी हुई है इसलिए तकनीक का उपयोग करते हुए भक्ति को शक्ति देने का कार्य किया जा रहा है. इसके माध्यम से लाखों लोग घर बैठे जन्माष्टमी पर अभिषेक और पूजा देख सकेंगे.

ई-पूजा की सुविधा दी है 

इससे पहले होली, वासंतिक नवरात्रि, श्रावणी पर्व, अक्षय तृतीया, नागपंचमी आदि त्योहार नहीं मनाए जा सके. अब जन्माष्टमी, दही हांडी, गणेशोत्सव पर भी कोरोना के काले बादल छाए हैं. हालांकि ‘जान है तो जहान है’ का पालन करते हुए, आवश्यकता अविष्कार की जननी बनकर आ जाती है और तकनीक के रूप में इस समस्या का हल देती जाती है. लोग आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए ऑनलाइन दर्शन पूजन से आस्था को नया आयाम दे रहे हैं. इस्कॉन के अलावा अन्य मंदिरों में भी जन्माष्टमी पर भक्तों के लिए प्रवेश बंद किया गया है. सिर्फ मंदिर के पुजारी ही सुबह शाम की दैनिक पूजा आरती के साथ मध्यरात्रि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. इस्कॉन ने अपने भक्तों से उनके नाम पर ई-पूजा की सुविधा दी है जिसमें वे घर बैठे पूजा में शामिल हो सकते हैं.

राधा रास बिहारी मंदिर जुहू

इस्कॉन के तत्वावधान में 40 साल पूर्व स्थापित और संचालित जुहू के प्रसिद्घ राधा रास बिहारी मंदिर, जिसे लोग हरे राम, हरे कृष्ण मंदिर भी कहते हैं, में जन्माष्टमी के निमित्त श्रीमद्भागवत कथा आयोजित की गई है जिसकी पूर्णाहुति जन्माष्टमी पर होगी. मंदिर की मीडिया प्रभारी पारिजात माता ने बताया कि इस अवसर पर सिर्फ पुजारी और मंदिर परिसर में रहने वाले भक्त ही इसमें भाग लेंगे.

राधा गोपीनाथ मंदिर गिरगांव

इस्कॉन के गिरगांव स्थित राधा गोपीनाथ मंदिर में भी भक्तों के लिए जन्माष्टमी पर एंट्री नहीं है. ऑनलाइन सुविधा से जन्माष्टमी पर होने वाले कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे. मंदिर के स्वामी गौरांग प्रभु और मीडिया प्रभारी लकी कुलकर्णी ने बताया कि कोरोना संकट काल के चलते मंदिर साढ़े चार महीने से बंद है. सरकार के अगले आदेश तक इसे बंद ही रखा जाएगा. इस बीच पड़ने वाले त्योहारों को सूक्ष्म रूप से मनाया जाएगा.

श्री राधा गिरधारी मंदिर मीरा रोड

मीरा रोड पूर्व पेणकर पाड़ा के पास स्थित इस्कॉन के श्री राधा गिरधारी मंदिर में भी जन्माष्टमी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सिर्फ पुजारियों द्वारा मनाई जाएगी. यहां भी साढ़े चार महीने से सिर्फ पूजा अभिषेक किया जा रहा है. यहां हर साल जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर रथयात्रा का आयोजन किया जाता था लेकिन इस वर्ष सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से सवारी निकली. मंदिर के प्रमुख स्वामी कमललोचन प्रभु के अनुसार 12 अगस्त की रात जन्माष्टमी अत्यंत सूक्ष्म रूप से ही पुजारी मनाएंगे. इसका अनेक प्रकार से ऑन लाइन प्रसारण किया जाएगा.

श्री राधा मदनमोहन मंदिर

इस्कॉन द्वारा नवी मुंबई के खारघर में स्थापित श्री राधा मदनमोहन मंदिर में डिजिटल जन्माष्टमी का आयोजन किया जा रहा है. मंदिर के प्रमुख स्वामी सूरदास महाराज के सानिध्य में सुबह मंगला आरती के साथ शुरुआत होगी, रात के 11 बजे से 12:15 श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. अगले दिन एसी भक्तिवेदांत शील प्रभुपाद का अवतरण दिवस मनाया जाएगा.