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  • DGGI की एक और कार्रवाई

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नागपुर. जीएसटी सतर्कता महानिदेशालय (डीजीजीआई) की स्थानीय विंग ने 25.22 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट सहित 290.70 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले लेन-देन का पता लगाया है. डीजीजीआई ने बताया कि एक निजी कम्पनी की तलाशी के बाद इसका पता लगा. इस संबंध में एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया है.

मुंबई स्थित एक कम्पनी मेसर्स एम एंड एम एडवाइजर्स एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के परिसरों की तलाशी ली गयी. तलाशी में मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि कम्पनी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैनलों पर प्रसारण के लिए फिल्म निर्माण घरों के लाइसेंसिंग अधिकारों में लगी हुई थी. वे शीर्ष बैनरों द्वारा निर्मित फिल्मों के अधिकारों को खरीद रहे थे और इन अधिकारों को अनुबंध प्रणाली के तहत हस्तांतरित कर राइट्स असाइन्जर्स को दे रहे थे, जो इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा रहे थे.

25 करोड़ के फर्जी ITC राइट्स दिए

विभाग ने पाया है कि 290.70 करोड़ रुपये के फर्जी लेन-देन और 25.22 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी राइट्स असाइनर्स को दिए गए. एक अधिकारी ने कहा कि कम्पनी के एक निदेशक को 5 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया. फर्जी लेन-देन के मामले में विभाग पिछले कुछ दिनों से काफी सक्रियता दिखा रहा है. डीजीजीआई की स्थानीय विंग की ओर से हाल के दिनों में फर्जी लेन-देन के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के मामलों का पर्दाफाश किया जा चुका है.

कंपनी के डायरेक्टर प्रदीप मालनकर को हिरासत में ले लिया गया. कारपोरेट कार्य मंत्रालय की ओर से भी उनसे पूछताछ की गई थी. जांच में पता चला कि वह 3 और कंपनियों में डायरेक्ट है. कंपनी के निदेशक और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के परिसरों के साथ ही घरों में भी छानबीन की गई.