मोदी की तूफानी हलचल बिना कुछ किए थक जाते हैं राहुल

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz) कुछ लोग बहुत काम करके भी नहीं थकते जबकि कुछ लोग बिना कुछ किए थक जाते हैं. तुलना करके देखिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 70 वर्ष की उम्र हो जाने के बावजूद अपनी सक्रियता से जवानों को पीछे छोड़ देते हैं और हमेशा चुस्त-दुरुस्त नजर आते हैं. उनका प्रतिदिन अत्यंत व्यस्त कार्यक्रम रहता है. सुबह 10 बजे से लेकर रात तक मंत्रियों और अधिकारियों की बैठकें लेते हैं और आनन फानन में महत्वपूर्ण फैसले करते हैं. वे खुद आराम नहीं करते और दूसरों को भी आराम करने नहीं देते.

चुनाव रैली हो या विदेश की व्यस्त यात्रा, उनके चेहरे पर कभी थकावट का नामोनिशान नजर नहीं आता. एक बार जब वे नवरात्रि के मौके पर अमेरिका गए थे तो बिना कुछ खाए 9 दिनों तक नींबू-पानी पीकर ऊर्जावान बने रहे. दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देखिए. वे बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के बाद अब सियासी थकान मिटाने शिमला पहुंचे हैं. इस उम्र में उनकी थकावट समझ में नहीं आती. जब कांग्रेस(Congress) का बड़ा नेता थक जाए, उसकी पार्टी थक जाएं तो देश का क्या होगा?’’ हमने कहा, ‘‘मोदी यदि सुपरमैन हैं तो हर कोई उन जैसी एनर्जी वाला नहीं हो सकता. क्या आपको पता नहीं कि 2014 में मोदी सरकार में जो मंत्री थे, उनमें से कितने चल बसे? सुषमा स्वराज, मनोहर पर्रिकर, अरुण जेटली और रामविलास पासवान सभी स्वर्ग सिधार गए. इंसान का शरीर लोहे का नहीं होता.

उसे भी समय-समय पर आराम चाहिए. राहुल का रवैया सही है. मोबाइल के समान वे भी अपनी बॅटरी चार्ज करते रहते हैं. कभी संसद सत्र के समय चुपचाप विदेश दौरे पर निकल जाते हैं तो कभी विपश्यना करने एकांत में चले जाते हैं. उनसे यह उम्मीद मत कीजिए कि अपनी पार्टी या देश को 24 घंटे देंगे. यह मोदी जैसे फुल-टाइम नेता का काम है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राहुल को अपने पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए. प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सिर्फ रात में 4 घंटे सोते थे. 12 बजे सोकर सुबह 4 बजे उठ जाते थे और योग-प्राणायाम करके काम पर लग जाते थे. इंदिरा गांधी भी अपने सारे महत्वपूर्ण फैसले आधी रात को लिया करती थीं. यदि वे थककर जल्दी सो जातीं तो आधी रात को इमर्जेन्सी कैसे लगातीं? राहुल को यदि इतनी थकावट है तो वे मल्टीविटामिन और मिनरल्स वाली गोली खाएं. उन्हें समझना चाहिए कि राजनीति की रेस के घोड़े को हमेशा सरपट भागना पड़ता है. उसे थकने की अनुमति नहीं होती. मन मजबूत हो और हौसला बुलंद हो तो कैसी थकावट!’’