क्यों लिए जाते हैं शादी में 7 फेरे, क्या है इसका महत्त्व?

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-सीमा कुमारी

शादी एक ऐसा बंधन है जिसमें लड़का और लड़की विवाह (Marriage) के बंधन में बंध कर साथ जीने -मरने की कसमें (Vows) खाते हैं और जीवन भर साथ रहते हैं। भारतीय सभ्यता संस्कृति (Indian Culture) में 7 नंबर को शुभ माना जाता है, क्योंकि संगीत (Music) के सात स्वर और इंद्रधनुष (Rainbow) के भी सात रंग होते हैं और भी बहुत सारी चीजे हैं। इसके अलावा हिंदू धर्म में सात महीने यानी अक्टूब-नवंबर से लेकर जून- जुलाई तक शादी का सीजन होता है। इसलिए 7 फेरे (7 round) यानी वचन का ख़ास महत्व है। आज हम इस लेख में विवाह में लिए जाने वाले 7 फेरों की चर्चा करेंगे…

महत्त्व 

शादी में दुल्हा-दुल्हन के 7 फेरे लेने की प्रक्रिया प्राचीन काल से चली आ रही है| सच तो यह है कि आज बहुत सारे कपल्स को 7 फेरों के बारे में  जानकारी नहीं है। जिसके कारण वह एक- दूसरे को मान -सम्मान नहीं करते हैं, जिससे शादी टूट जाती है। ऐसे में आज हम बताते हैं क्या है  7 फेरे का अर्थ?  

  • पहले फेरे में कपल यानी दुल्हा-दुल्हन एक साथ रहने और अच्छे और बुरे समय में एक-दूसरे का सम्मान करने का वचन लेते हैं। वे एक-दूसरे की जरूरतों का पोषण और देखभाल करने का वादा करते हैं। दू
  • सरे फेरे में ईश्वर मानसिक स्थिरता, आध्यात्मिक शक्ति और शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं, ताकि वे एक सहज जीवन जी सकें।
  • तीसरे फेरे में दंपति जीवन को शांति और संतोष के साथ जीने के लिए धन, समृद्धि और ज्ञान की प्रार्थना करते हैं।
  • चौथे फेरे में कपल एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान की प्रतिज्ञा लेते हैं।
  • पांचवें फेरे में कपल एक-दूसरे के साथ दुख-सुख साझा करने का वचन करते हैं। साथ ही वे स्वस्थ बच्चों के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
  • छठे फेरे में दंपति एक-दूसरे को वचन देते हैं कि वो खराब स्वास्थ्य में या जरूरत पड़ने पर हमेशा साथ खड़े रहेंगे और सभी भक्ति कर्तव्यों में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।
  • सातवें फेरे में कपल एक-दूसरे से वफादारी, एकजुटता, साहचर्य, समझ और बिना शर्त प्यार करने का वचन देते हैं। वे भगवान से इस खूबसूरत बंधन को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए धैर्य और परिपक्वता की प्रार्थना करते हैं।