After all, bhagat singh Koshyari fired the gun, surrounded sharad Pawar on the Lavasa issue

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    महाराष्ट्र के राज्यपाल रहते हुए भगतसिंह कोश्यारी लगातार विवादों में घिरे रहे. उनके साथ पिछली महाविकास आघाड़ी सरकार का छत्तीस का आंकड़ा बना रहा. राज्यपाल द्वारा विधान परिषद के लिए आघाड़ी सरकार द्वारा सुझाए गए 12 नामों को मंजूरी को लटकाए रखना, अभिनेत्री कंगना रनौत की शिकायत सुनने के लिए राज भवन में काफी समय देना, समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर सरकार से टकराव से राज्य में असहज माहौल बना रहा.

    आघाड़ी सरकार नेता भी राज्यपाल की तीखी आलोचना करने में पीछे नहीं रहे. राज्यपाल के रूप में कोश्यारी के कुछ बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई जाती रही. मिसाल के तौर पर उन्होंने एक समारोह में कह दिया था कि यदि राजस्थानी और गुजराती मुंबई से चले जाएं तो यहां कुछ भी नहीं बचेगा. इय बयान पर नाराजगी बढ़ने के बाद कोश्यारी ने अपने कथन पर खेद व्यक्त किया. एक अन्य बयान में उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को पुराने जमाने का हीरो बताते हुए कहा था कि आज के नायक नितिन गडकरी और शरद पवार हैं.

    संभवत: ऐसा कहते समय कोश्यारी को अंदाज नहीं था कि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज को ईश्वर के समान दर्जा दिया जाता है. इस कथन से वे तीखी आलोचना के निशाने पर आ गए थे और उन्हें हटाए जाने की मांग तेज हो गई थी. कोश्यारी को महाराष्ट्र के नेता सहजता से स्वीकार नहीं कर पाए. उन्होंने भी यहां रहकर सुखद अनुभव नहीं किया क्योंकि तमाम नेता उनके खिलाफ हो गए थे. अब राज्यपाल पद से हटने के बाद कोश्यारी मुखर हो उठे हैं.

    उन्होंने खुलकर बोलते हुए एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार पर तोप दागी. उन्होंने कहा कि फडणवीस और अजीत पवार की सुबह की शपथ विधि की जानकारी शरद पवार को थी. यह दावा देवेंद्र फडणवीस कर चुके हैं. विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अजीत पवार एनसीपी के कुछ नेताओं को लेकर मेरे पास आए. उनके पास विधायकों के हस्ताक्षर का पत्र था. राजनीति में एक क्षण में स्थितियां बदलती है. यदि एक रात में राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया तो उसमें कौन सी अनोखी बात थी. एनसीपी को बीजेपी का समर्थन देने से यदि सरकार बन रही थी तो मैं राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं हटाता? एनसीपी नेताओं के मेरे पास आने पर मैंने उनसे कहा हिक बहुमत हो तो सिद्ध करो. इसके बाद फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद और अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

    कोश्यारी ने कहा कि यदि शरद पवार जर (यदि) और तर (तो) की भाषा बोलते हैं तो उन्हें लवासा प्रकरण पर 10 बार विचार करना होगा. कोश्यारी ने कहा कि महाराष्ट्र में अनेक पार्टियों को सत्ता स्थापना के लिए निमंत्रण देते समय मुझ पर किसी का भी दबाव नहीं था. मुझ पर दबाव की बात ही मत बोलो. शिवसेना ने मुझसे समय मांगा तो मैंने दिया. बाद में वह सुप्रीम कोर्ट में गई. हार्स ट्रेडिंग की संभावना होने से मैंने उन्हें दावा रखने के लिए दिया गया वक्त कम कर दिया था. इसमें मेरी भूमिका संदिग्ध कहां से हुई. सुबह 8 बजे शपथ विधि हुई फिर भी लोग उसे तड़के सुबह की शपथ विधि कहते हैं.

    इसका कोई मतलब नहीं है. कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को ‘संत’ आदमी बताते हुए कहा कि वह राजनीति के फेर में फंस गए. सभी जानते है कि उद्धव किस ढंग से फंस गए. अगर आदमी सीधा नहीं होता, सज्जन नहीं होता, शरद पवार जैसी ट्रिक जानता होता तो ऐसे लिखता क्या? जाहिर है राज्यपाल पद से हटने के बाद कोश्यारी ने अपने अनुभव और राजनीतिक चालों के बारे में अपने दिल की बात साफ-साफ बता दी जो वह संवैधानिक पद पर रहते हुए खुलकर नहीं बोल सकते थे.