नेताओं के विवादास्पद बयान, चुनाव आयोग ने पार्टियों से कैफियत मांगी

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यह पहली बार है कि देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग ने सत्तारुढ़ पार्टी से जवाब तलब किया है। आयोग ने बीजेपी से विपक्षी दलों की उस शिकायत पर 29 अप्रैल तक कैफियत मांगी है जिसमें प्रधानमंत्री पर राजस्थान के बांसवाड़ा में मॉडल कोड आफ कंडक्ट की मर्यादा तोड़कर भाषण देने का आरोप लगाया गया है। इसी प्रकार चुनाव आयोग ने संतुलन रखते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के विरुद्ध शिकायत पर भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से सफाई मांगी है।

 चुनाव आयोग के इस कड़े रुख से स्पष्ट हो गया कि वह न तो किसी प्रकार का एकांगी रवैया अपना रहा है, न पक्षपात कर रहा है। वह निष्पक्षता से चुनाव संचालन करते हुए जरूरत के मुताबिक कार्रवाई कर रहा है। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों पर जिस तरह नकेल कसी है, उससे साफ है कि वह आचार संहिता का उल्लंघन कर भड़काऊ भाषण देनेवाले नेताओं को नहीं बख्शेगा। जनता की भी चुनाव आयोग से यही अपेक्षा है कि वह पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन की परंपरा कायम रखे और उन नेताओं के प्रति सख्त रवैया अपनाए जो चुनाव प्रचार में उत्तेजना फैलानेवाले भाषण दे रहे हैं और धड़ल्ले से मनमाने आरोप लगा रहे हैं।

आचार संहिता का उल्लंघन

आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत वोटर को किसी भी प्रकार का लालच देने, जाति, भाषा, धर्म या संप्रदाय के नाम पर वोट मांगने, किसी के चरित्र पर कीचड़ उछालने तथा शासकीय स्तर पर नई योजनाओं की घोषणा करने पर मनाही है। देखा जा रहा है कि चुनाव प्रचार में देश के सामने मौजूद ज्वलंत व प्रासंगिक मामलों का उल्लेख करने व समाधान पेश करने की बजाय नेता मतदाताओं को प्रलोभन देने, व्यक्तिगत टीका टिप्पणी या चरित्र हनन करने में लगे हुए हैं। कुछ नेताओं के हाल के भाषणों पर गौर करें तो लगेगा कि वे आचार संहिता को भूलकर बेछूट बयानबाजी किए चले जा रहे हैं। वे यह नहीं सोचते कि उनके ऐसे आचरण से देश की एकता-अखंडता पर विपरीत असर पड़ेगा, तथा दुर्भावना व कटुता फैलेगी।

चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष रखने का दायित्व सिर्फ चुनाव आयोग ही नहीं, सभी राजनीतिक पार्टियों का भी है। जब चुनाव आयोग देश की 2 प्रमुख पार्टियों से आचार संहिता उल्लंघन को लेकर जवाब तलब कर रहा है तो स्पष्ट है कि वह चुनाव प्रक्रिया में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषणों को लेकर बीजेपी व कांग्रेस को नोटिस जारी करना दिखाता है कि चुनाव आयोग निर्वाचन के उच्च मानकों को लेकर गंभीर है। उसे चुनाव प्रचार में मर्यादा का उल्लंघन व ओछापन जरा भी स्वीकार्य नहीं है। स्टार प्रचारक यदि बेलगाम होते हैं तो इसके लिए पार्टी अध्यक्ष जिम्मेदार माने जाएंगे।

पार्टियां अपने प्रचारकों की जिम्मेदारी लें

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के बांसवाड़ा में दिए गए भाषण को लेकर शिकायत की थी जिसमें मोदी ने कहा था कि विपक्षी पार्टी देश की धनसंपत्ति घुसपैठियों और ज्यादा बच्चे पैदा करनेवालों के बीच फिर से बांटना चाहती है। उन्होंने कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र पर मुस्लिम लीग की छाप होने का आरोप भी लगाया था व कहा था कि यदि कांग्रेस जीती तो वह देश का विभाजन कर देगी। दूसरी ओर कांग्रेस ने आचार संहिता उल्लंघन के 5 उदाहरण गिनाए। चुनाव आयोग ने इसके पहले भी मल्लिकार्जुन खड़गे को सूचित किया था कि वे कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और सुप्रिया श्रीनेत को मर्यादा में रहने के लिए कहें। बीजेपी और कांग्रेस अध्यक्षों को जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 77 के तहत नोटिस जारी किए गए है। यह कहा गया कि पार्टी अपने उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों के आचरण का ध्यान रखे जो नेता उच्च पद पर बैठे हैं, उनकी जिम्मेदारी और भी ज्यादा है।