यदि 100 करोड़ वसूली के शिकायतकर्ता फरार तो…,क्या राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं

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    जिस मुंबई पुलिस की तुलना ब्रिटेन की स्काटलैंड यार्ड पुलिस से की जाती थी, वह अपने ही पूर्व मुखिया परमबीर सिंह का पता नहीं लगा पाई. इस दौरान अफवाहों का बाजार गर्म रहा. यहां तक अनुमान लगाया गया कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर विदेश भाग निकले. कहीं यह छपा कि वे रूस पहुंच गए.

    इन सारी अटकलों के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परमबीर पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए की वसूली का आरोप लगानेवाले पुलिस अधिकारी खुद गायब हो गए जिनका कोई अता-पता नहीं है. मुख्यमंत्री बाम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के विस्तारित भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू, भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना तथा सुप्रीम कोर्ट के अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश मंच पर उपस्थित थे.

    सवाल जिम्मेदारी का है जिसमें मुंबई पुलिस की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठता है जो राज्य सरकार के अधीन है. मुख्यमंत्री ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने एक आरोपी के 1958 से फरार होने की बात कही लेकिन यहां तो गृहमंत्री पर वसूली का आरोप लगानेवाला शिकायतकर्ता ही गायब हो गया! प्रश्न उठता है कि क्या रेल्वे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस अड्डों और टोल नाकों पर निगरानी रखने में मुंबई पुलिस का गुप्तचर विभाग (सीआईडी) विफल रहा? क्या कुछ ऐसे पुलिसकर्मी हैं जिन्होंने परमबीर को निकल भागने में मदद की?

    तू डाल-डाल, मैं पात-पात

    केंद्रीय जांच एजेंसियों ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के ठिकानों पर कई बार छापेमारी की. देशमुख भी इनके हाथ नहीं लगे. इसी तरह उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के रिश्तेदारों के यहां भी छापे पड़े. यह मामला केंद्र विरुद्ध राज्य की महाविकास आघाडी सरकार जैसा नजर आता है. एक ओर परमबीर सिंह और रश्मि शुक्ला जैसे पुलिस अधिकारियों पर राज्य सरकार की कोपदृष्टि है तो दूसरी ओर केंद्रीय जांच एज्ेांसियां (ईडी व आईटी) महाराष्ट्र के राजनेताओं को टाइट कर रही हैं. तू डाल-डाल, मैं पात-पात जैसी स्थिति है. महाराष्ट्र के एनसीबी मंत्रियों की केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच से एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी तिलमिलाए हुए हैं.

    चंडीगढ़ में मौजूद, आयोग के सामने नहीं आना चाहते

    अब पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने चांदीवाल आयोग को जानकारी दी कि वो विदेश नहीं गए बल्कि चंडीगढ़ में ही है. अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने पर राज्य सरकार ने जांच के लिए चांदीवाल आयोग का गठन किया था. आयोग की कार्यवाही के दौरान मुंबई में सीनियर एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ और आसिफ लम्पवाला ने परमबीर सिंह द्वारा पॉवर आफ अटार्नी के साथ दिया गया हलफनामा दायर किया. यह पॉवर आफ अटार्नी चंडीगढ़ में बनाई गई जिसमें महेश पांचाल नामक व्यक्ति को आयोग में परमबीर सिंह का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार दिया गया है. 

    हलफनामे में कहा गया है कि परमबीर सिंह का आयोग के सम्मुख कोई निवेदन करने का इरादा नहीं है. हलफनामे के मुताबिक जो कुछ भी कहने की आवश्यकता थी वह परमबीर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री के सामने कह दिया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ध्यान दिया है. उनके पास कहने के लिए और कुछ नहीं है. परमबीर सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाया था कि गृहमंत्री पद पर रहते हुए अनिल देशमुख ने मुंबई के बार और रेस्टारेंट से 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था.