बापू और शास्त्री ने दी जीवन मूल्यों की सीख, स्वच्छता अभियान महात्मा गांधी की देन

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स्वच्छता अभियान की जिस विरासत को मोदी सरकार आगे बढ़ा रही है, वह मूलत: महात्मा गांधी की देन है. आजादी के काफी पहले बापू ने स्वच्छता का महत्व देशवासियों को समझाया था और स्वयं हरिजन बस्तियों में जाकर झाड़ू लगाकर लोगों को सफाई की सीख देते थे. इससे जनता में जागृति उत्पन्न होती थी कि परिसर को साफसुथरा रखेंगे तो गंदगी की वजह से फैलनेवाली बीमारियां नहीं होगी. लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा. महात्मा गांधी अस्पृश्यता के विरोधी थे और वर्णभेद को नहीं मानते थे.

बापू अपने आश्रम में भी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते थे और इसी वजह से कांग्रेसजन तथा अन्य व्यक्ति भी सफाई अभियान चलाने को प्रेरित हुए. महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में पूनमचंद रांका ऐसे ही एक नेता थे जो गांधीजी की प्रेरणा से स्वच्छता के प्रति आकर्षित थे. वे तमाम लोगों को पत्र लिखकर उनसे रविवार को स्वच्छता अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते थे जिसका असर पड़ता था और लोग टोलियां बनाकर सफाई करने निकल पड़ते थे.

बापू की प्रेरणा से ही ठक्कर बापा इंजीनियरिंग का पेशा छोड़कर मलिन बस्तियों में स्वच्छता अभियान चलाने और लोगों को सफाई के प्रति सजग करने के लिए आगे आए. बापू ने अपनी जीवनसंगिनी कस्तूरबा को भी राजी किया कि वे सार्वजनिक सफाई अभियान में उनका साथ दें. महात्मा गांधी के आदर्शों की प्रतिमूर्ति देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री थे. वे भी सादगी और स्वच्छता का विशेष आग्रह रखते थे. अत्यंत विनम्र स्वभाव के होने पर भी अपने सिद्धांतों को लेकर शास्त्रीजी अत्यंत दृढ़ थे. संयोग है कि महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री की जयंती एक ही तारीख 2 अक्टूबर को आती है.

ताशकंद में निधन के पूर्व तक शास्त्रीजी सिर्फ डेढ़ वर्ष प्रधानमंत्री रहे लेकिन अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप छोड़ गए. 1965 के युद्ध में शास्त्रीजी के सुदृढ़ नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी. अभूतपूर्व खाद्य संकट की घड़ी में उन्होंने देशवासियों का आत्मविश्वास बढ़ाया था और स्वयं हर सोमवार को उपवास करते हुए देशवासियों के सामने खाद्य संकट से निपटने की मिसाल पेश की थी. उनके आवाहन पर लाखों देशवासियों ने केवल एक समय भोजन करने का संकल्प लिया था.

महात्मा गांधी के समान ही शास्त्री अपव्यय के खिलाफ थे और किफायत से रहते थे. जब पीडब्ल्यूडी वालों ने शास्त्री के घर कूलर लगा दिया तो शास्त्री ने उसे हटवा दिया और घर के सदस्यों से कह दिया कि अपनी जरूरतें सीमित रखनी चाहिए. जब वे रेल मंत्री थे तब दक्षिण भारत में हुई एक ट्रेन दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था.

मोदी की आदर्श पहल

यह बहुत अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पद संभालने के बाद से ही स्वच्छता अभियान को देशव्यापी गति प्रदान की. शहरों को स्वच्छ रखने की स्पर्धा शुरू हुई. इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर जाना जाता है. प्रधानमंत्री के आवाहन पर नेता-अभिनेता सभी स्वच्छता अभियान में जुट गए. सचिन तेंदुलकर, आमिर खान, अक्षय कुमार ने भी इसमें भाग लिया. कुछ लोगों को यह सब दिखावटी लगा लेकिन इसके माध्यम से देश के जन-जन तक स्वच्छता का संदेश गया.

लोगों की समझ में आ गया कि सिर्फ व्यक्तिगत स्वच्छता नाकाफी है, सार्वजनिक स्वच्छता बनाए रखना भी हर किसी का कर्तव्य है. अभी भी कितने ही लोग पान और खर्रा खाकर जहां-तहां थूकते हैं जिन्हें इस आदत से बाज आना चाहिए. सिंगापुर में सड़कों या सार्वजनिक स्थान पर थूकने या कचरा डालने पर कठोर दंड है इसलिए वहां जाने पर भारतीय ऐसा नहीं करते लेकिन स्वदेश में उनका आचरण बदल जाता है. केवल प्रतिमा या चित्र को माल्यार्पण करने की बजाय स्वच्छता, सादगी जैसे जीवन मूल्यों को अपनाना महात्मा गांधी और शास्त्री के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.