अब नहीं बनेगी ड्राइवर लेस कार

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कुछ महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू करते हैं, लोगों का कौतुक जगते हैं और फिर अचानक बंद कर दिए जाते हैं। कुछ दशक पहले यूरोपी से अमेरिका की दूरी सिर्फ 5 घंटे में तय करने वाले ध्वनि से भी तेज गति के का कार्ड यात्री विमान को नियमित सेवा में शामिल करने से पहले ही हटा दिया गया। वजह यह बताई गई कि उसकी उड़ान के शोर से घरों की दीवारों में दरारें आ जाती थी जबकि असली वजह यह थी कि प्रचलित बोइंग और एयरबस विमानों को कायम रखना था।

इसी तरह अमेरिका ने स्पेस शटल का इस्तेमाल भी बंद कर दिया जो एक विमान की पीठ पर सवार होकर आसमान में जाती और फिर अलग होकर काफी ऊंचाई से अंतरिक्ष में चली जाती थी फिलहाल एपल ने सभी को आश्चर्य में डालते हुये ड्राइवरलेस कार का काम बंद कर दिया। बिना ड्राइवर की यह कार किसी अजूबे से कम नहीं थी। ट्रायल में एकाध बार वह दूसरी गाड़ी से भिड़ गई अन्यथा काफी सफल थी। एपल अपनी हाई प्रोफाइल योजनाएं बंद नहीं करती लेकिन मांग और पूर्ति के सिद्घांत को ध्यान में रखकर निर्णय लेने पड़ते हैं।

दुनिया भर में इले्ट्रिरक वाहनों की मांग में कमी देखने को मिल रही है। इस वजह से निर्माताओं को अर्जन निवेश (इन्वेस्टेंट) में कटौती करनी पड रही है। इसी वजह से एपल को अपनी इले्ट्रिरक कार का एक दशक पुराना सपना छोड़ना पडा। इस ड्राइवर विहीन कार के प्रोजेक्ण् से 2000 कर्मचारी जुड़े हुये थे। अब इन कर्मियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जनरेटिक एआई से संबंधित प्रोजेक्ट में लगाया जाएगा। एपल का ड्राइवरलेस कार परियोजना बंद करना एक दुर्लभ मामला है।