
इन अफसरों में एपीआई सचिन वझे भी शामिल थे.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर शिवसेना के तेवर काफी तीखे हैं. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख पर सनसनीखेज आरोप लगाया था कि उन्होंने पुलिस अफसरों को घर बुलाकर मुंबई के बार और रेस्टॉरेंट से 100 करोड़ रुपए महीना वसूल करने का टारगेट दिया था. इन अफसरों में एपीआई सचिन वझे भी शामिल थे. यद्यपि इस आरोप की सच्चाई का पता लगाने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच कराने का फैसला किया है लेकिन जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, देशमुख के मंत्री पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. उनके पद से हटने से जांच में सहूलियत होगी. उल्लेखनीय है कि जब जैन डायरी-हवाला प्रकरण से लालकृष्ण आडवाणी पर आरोप लगे थे, तब उन्होंने भी जांच पूरी होने तक केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. देशमुख को लेकर आघाड़ी सरकार में शामिल पार्टियों में फूट पड़ती नजर आ रही है. गठबंधन की तीनों पार्टियां शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस अलग-अलग सुर में बोल रही हैं.
शिवसेना के निशाने पर गृह मंत्री
शिवसेना सांसद संजय राऊत ने अनिल देशमुख को ‘एक्सीडेंटल होम मिनिस्टर’ बताया. इस टिप्पणी के बाद एनसीपी और शिवसेना आमने-सामने आ गए हैं. राऊत ने पार्टी के मुखपत्र में प्रकाशित अपने लेख में लिखा कि जयंत पाटिल और दिलीप वलसे पाटिल जैसे वरिष्ठ एनसीपी नेताओं के इनकार के बाद अनिल देशमुख को अनायास ही यह पद मिला और दुर्घटनावश वह महाराष्ट्र के गृह मंत्री बन गए. इसके बाद सत्ता में सहयोगी दल कांग्रेस ने शिवसेना की जमकर खिंचाई की तो वहीं एनसीपी ने शिवसेना को गठबंधन धर्म याद दिलाया. राऊत ने लिखा कि महाराष्ट्र की आघाड़ी सरकार के पास नुकसान की भरपाई करने के लिए कोई तंत्र नहीं है, जैसा कि मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद देखा गया.
निरुपम ने पूछा कि CM को किसने रोका है
कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि शिवसेना ने गृह मंत्री के चाल-चलन पर शक जाहिर किया है. एनसीपी मुखिया शरद पवार कह चुके हैं कि गृह मंत्री के भविष्य का फैसला मुख्यमंत्री करें. मुख्यमंत्री शिवसेना के हैं और मौन साधे हैं. एक्शन लेने से मुख्यमंत्री को किसने रोक रखा है? उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए. उपमुख्यमंत्री व एनसीपी नेता अजीत पवार ने तीखे शब्दों में कहा कि यह सरकार 3 पार्टियों की है. यह तीनों पार्टियों के प्रमुखों का अधिकार है कि किसे मंत्री बनाना है. उन्होंने तय किया कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा, मंत्री कौन होगा, इसलिए एकसाथ काम करते हुए कोई भी इसमें नमक डालने का काम न करे. गठबंधन में मंत्री पद का आवंटन हर सत्ताधारी दल के प्रमुख का विशेषाधिकार होता है. जब 3 दलों की सरकार ठीक से काम कर रही है तो ऐसे में किसी को स्थिति बिगाड़नी नहीं चाहिए. तीनों दलों के नेताओं को बयानबाजी से बचना चाहिए. विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि केवल देशमुख दुर्घटनावश गृह मंत्री नहीं बने हैं, बल्कि पूरी महाविकास आघाड़ी सरकार ही दुर्घटनावश बनी है. अब इसका घमासान सामने आ गया है. महाविकास आघाड़ी में बेचैनी है.
देशमुख खुद विचार करें
गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि मामले की जांच होगी और जल्द ही सत्य बाहर आएगा. मैंने इस मामले की जांच की मांग राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में रखी थी. सीएम को भी पत्र लिखा था. उन्होंने मांग मंजूर की और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जांच करेंगे. जब देशमुख ऐसा कह रहे हैं तो न्याय की खातिर जांच होने तक मंत्री पद से हट जाएं. नैतिकता के नाते उन्हें ऐसा करना चाहिए.