What solution does the government have, crores of youth need employment

राजनीतिक स्वार्थ में डूबे सत्ताधीश बुनियादी मुद्दों की अनहोनी करते हैं.

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    देश के युवाओं के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है लेकिन राष्ट्रवाद और धर्म की राजनीति करने वाले इस मुद्दे का समाधान करना तो दूर उसका जिक्र भी करने से कतराते हैं. जब कुछ नहीं सूझता तो सलाह देते हैं कि पकोड़े बनाना भी एक रोजगार है. सुशिक्षित युवकों के लिए रोजगार का कोई रोडमैप नहीं है. राजनीतिक स्वार्थ में डूबे सत्ताधीश बुनियादी मुद्दों की अनहोनी करते हैं. देश में कितने रोजगार पैदा किए गए, कितने लोगों को रोजगार मिला, बेरोजगार कितने बढ़े, जैसे प्रश्नों पर चर्चा न करते हुए सतही ढंग से निपटा दिया जाता है.

    सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनॉमी नामक गैर सरकारी संस्था ने दिसंबर 2021 में ‘भारत में बेरोजगारी’ विषय पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा कि 15 से 65 वर्ष के लोगों में बेरोजगारी की दर 4% से 7% प्रतिशत है जो कि 2018 में 6.1 प्रतिशत थी. युवाओं में बेरोजगारी की दर 7.1 प्रतिशत है जो कि 2018 में 6.1 प्रतिशत थी. युवाओं में बेरोजगारी इतनी चिंताजनक है कि 20 से 29 वर्ष आयु समूह के 23 प्रतिशत युवक और 56 प्रतिशत युवतियां बेरोजगार हैं. कुल स्नातकों में से 19 प्रतिशत युवा के पास कोई नौकरी या रोजगार नहीं है. 20 से 29 वर्ष के बीच आयु के स्नातकों में से 63 प्रतिशत रोजगार विहीन हैं. शिक्षा का प्रचार हो रहा है लेकिन उस पैमाने पर रोजगार या नौकरी उपलब्ध नहीं है.

    देश में 10वीं से ज्यादा पढ़ाई किए हुए बेरोजगारों की संख्या 3 करोड़ 94 लाख है. प्रति वर्ष देश में 80 लाख युवक विश्वविद्यालयों से डिग्री लेकर निकलते हैं जिनमें से व्यावसायिक (प्रोफेशनल) की तादाद सिर्फ 8 लाख रहती है. रोजगार दिलाने योग्य शिक्षा अभाव एक बड़ी समस्या है. यदि उद्योगों और विश्वविद्यालयों में समन्वय कर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के साथ उपयुक्त पाठ्यक्रम बनाया जाए तो रोजगार दे पाना आसान होगा.

    कृषि पर बहुत बड़ी आबादी निर्भर है. केवल उसी के भरोसे परिवार का जीवन यापन कठिन है. इसलिए कृषि के साथ सहायक या पूरक उद्योग जैसे फूड प्रोसेसिंग जोड़ना आवश्यक है साथ में पशुपालन, मछली पालन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है. यदि युवाओं को प्रतिदन 600 रुपए वेतन और वर्ष में 330 दिन काम दिया जाए तो प्रत्येक व्यक्ति पर 2 लाख रुपए वेतन खर्च आएगा. 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने पर 5 लाख करोड़ रुपए खर्च आएगा. युवा उद्योग को या स्टार्ट अप को प्रोत्साहन दिया जाना जरूरी है. इस दिशा में केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी पहल कर सकती हैं. स्थानीय निकायों के जरिए इसे लागू किया जा सकता है. 2019 में सरकार ने बजट के बाहर जाकर कारपोरेट कर में 1 लाख 45 हजार करोड़ रुपए की छूट दी. देश में विरोधाभास यह है कि एक तरफ अरबपतियों की तादाद बढ़ रही है लेकिन बेरोजगारी व गरीबी भी कम नहीं है. युवा वर्ग की ऊर्जा का उपयोग किया जाए तो देश का विकास तेजी से हो सकता है किंतु रोजगार सृजन की कोई ठोस योजना नहीं है. पहले महिलाएं घर गृहस्थी तक सीमित थी लेकिन अब वे पढ़ लिखकर विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार चाहती हैं. इस तरह वर्क फोर्स में अधिक युवाओं के समायोजन की चुनौती है. लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्योगों को हर स्तर पर प्रोत्साहन देना आवश्यक है ताकि युवाओं को काम मिले. भारत में सेवा क्षेत्र का विस्तार हो रहा है. पर्यटन, हास्पिटेलिटी आदि से रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं. शहरी और ग्रामीण बेरोजगारी का उपयुक्त समाधान खोजना समय की मांग है.