मोदी की हैट्रिक या विपक्ष का चान्स, चुनावी महाभारत का शंखनाद

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चुनाव (Lok Sabha elections 2024) लोकतंत्र का पर्व होते हैं।  आखिर लोकसभा की 543 सीटों के लिए 7 चरणों में 19 अप्रैल से 1 जून तक वोटिंग की तारीखों का एलान हो गया।  चुनाव परिणाम 4 जून को आएंगे।  इसके साथ देश में 81 दिनों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई जो कि 2019 के आम चुनाव में 75 दिन थी।  लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections 2024) के साथ ही आंध्रप्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की कुल 414 विधानसभा सीटों पर भी मतदान होगा।  सारी दुनिया की निगाहें आबादी के लिहाज से विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के आम चुनाव पर होंगी। 

कुल 97 करोड़ मतदाता

इस बार के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की कुल तादाद 97 करोड़ होगी।  पिछले 5 वर्षों में नए मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ से ज्यादा बढ़ी है।  पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या में अधिक वृद्धि हुई है।  इसी तरह 1। 82 करोड़ युवा पहली बार मतदान करेंगे।  इनमें 85 लाख महिलाएं नई वोटर होंगी।  20 वर्षों में पहली बार चुनाव नतीजे जून में आएंगे।  नए मतदाता ढर्रे से अलग सोचते हैं।  ये बिना किसी वैचारिक आग्रह या दबाव के मतदान करते हैं और परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं। 

मुकाबला 2 गठबंधनों के बीच

इस बार फिर मुख्य मुकाबला 2 गठबंधनों के बीच है।  एक तरफ बीजेपी नेतृत्व का एनडीए है तो दूसरी ओर नया ‘इंडिया’ गठबंधन।  एनडीए की मजबूती तो समझ में आती है लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन में बिखराव नजर आने लगा है।  नीतीशकुमार इस खेमे से निकलकर एनडीए में चले गए हैं।  ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर डाला है।  इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टियां कांग्रेस, सपा, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (उद्धव), कम्युनिस्ट पार्टियां, आप, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, राजद और जेएमएम हैं।  बीजेपी नेतृत्व के एनडीए में जदयू, शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (अजीत पवार), टीडीपी, जदसे, राष्ट्रीय लोकदल, असम गण परिषद, जनसेना पार्टी, मिजो नेशनल फ्रंट तथा अपना दल (सोनेलाल) का समावेश है। 

BJP का 400 सीटों का सपना

बीजेपी अपने लिए 370 और एनडीए के लिए 400 से अधिक सीटों का सपना देख रही है।  बीजेपी हिंदुत्व, विकास और मोदी की गारंटी के भरोसे चुनाव में उतर रही है।  पिछले 10 वर्षों से सत्ता में रहने के अलावा संसाधन संपन्न होने से बीजेपी की ताकत भी अधिक है।  उसके पास आरएसएस का सधा हुआ अनुशासित कैडर तथा बूथ स्तर से काम करनेवाले समर्पित कार्यकर्ता हैं।  चुनाव के इतने अधिक चरणों में बीजेपी जितना गहन प्रचार करने में सक्षम होगी, उतनी संसाधन क्षमता विपक्ष के पास नहीं है।  बीजेपी ने आपरेशन लोटस के तहत और जांच एजेंसियों के दबाव से विपक्ष में फूट डालकर उसे कमजोर किया है।  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ छीनकर बीजेपी ने अपनी मजबूती दिखा दी थी। 

उद्धव-शरद की अग्निपरीक्षा

उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों की पार्टियां टूट चुकी हैं लोकसभा चुनाव परिणाम दिखाएंगे कि उद्धव, शिंदे तथा शरद पवार-अजीत पवार में से जनता किसके साथ है।  पिछले 10 वर्षों में तेजी से बढ़नेवाली आम आदमी पार्टी कितनी सफल होती है।  क्या कांग्रेस 3 अंकों में सीटें जीत पाएगी? क्या बीजेपी का दक्षिणी राज्यों में प्रभाव बढ़ेगा?