Mahatma Gandhi Jayanti

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नवभारत स्पेशल डेस्क: जब कभी कानों में गांधी शब्द सुनाई पड़ता है तो सबसे पहले जिनका नाम स्मरण हो उठता है वो नाम है महात्मा गांधी जी का। गांधी जी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में गांधी जी जब देश की आजादी के लिए लाठी लेकर चले तो उनके साथ- साथ पूरा देश चल पड‍़ा। स्वतंत्रता सेनानियों ने उन्हें जिन रूप में देखा वही उपाधि दे दिया और उसी नाम से संबोधित करने लगे। हालांकि गांधी जी को ये उपाधियां असल में किसने दिया। इसे लेकर थोड़ा मतभेद है। 

महात्मा गांधी के उपनामों का सिलसिला:

‘मिस्टर गांधी’ की उपाधि
महज 19 साल की उम्र में महात्मा गांधी ने बैरिस्टर की पढ़ाई लंदन यूनिवर्सिटी से की। महात्मा गांधी के उपनामों का सिलसिला अगर कहें दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। वहां उनके दोस्त उन्हें ‘मिस्टर गांधी’  कह कर बुलाते थे।

Mahatma Gandhi

चंपारण से मिला ‘बापू’ की उपाधि  
गांधी जी को ‘बापू’ की उपाधि उनके पहले आंदोलन चंपारण आंदोलन से मिला। बताया जाता है कि इस आंदोलन के दौरान राजकुमार शुक्ल ने महात्मा गांधी को ‘बापू’ नाम की उपाधि दी। हालांकि इतिहास में इसकी सटीकता नहीं है। वहीं दूसरी ओर ये भी कहा जाता है कि गांधी जी को ‘बापू’ की उपाधि स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था।

‘महात्मा’ की उपाधि
गांधी जी को ‘महात्मा’  की उपाधि गुरू रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था। बताया जाता है कि  12 अप्रैल, 1919 को रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को एक पत्र लिखा था कि जिसमें उन्होंने बापू को ‘महात्मा’ कहकर संबोधित किया था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि 1915 में राजवैद्य जीवराम शास्त्री ने सबसे पहले गांधीजी को ‘महात्मा’ कहा था।

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‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि
महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि नेता सुभाषचंद्र बोस ने दिया था। बताया जाता है कि 4 जून, 1944 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सिंगापुर से रेडियो पर बापू के नाम एक संदेश दिया था, जिसमें उन्होंने गांधीजी को सबसे पहले राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। इसके बाद 1948 में भी बापू के देहांत के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी रेडियो पर देश को संबोधित करते हुए कहा था ‘राष्ट्रपिता अब नहीं रहे।’