सैन्य आधुनिकीकरण के पक्षधर थे CDS रावत, देश उन्हें सदा याद रखेगा

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    हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का देहावसान अत्यंत आघातपूर्ण है. उन्होंने सेना के आधुनिकीकरण की योजना बनाई थी लेकिन वे जैसी इंटीग्रेटेड बैरल कमांड बनाना चाहते थे, वह कार्य अभी अधूरा रह गया. सूझबूझ के साथ ज्वाइंट थिएटर कमांड बनाने का उन्होंने बीड़ा उठाया था. देश को 43 वर्ष तक उत्कृष्ट सेवा देने वाले सीडीएस रावत देश के दुश्मनों को करारा जवाब देने में हमेशा आगे रहते थे. उन्हें काउंटर इंसर्जेंसी का एक्सर्ट माना जाता था. 

    2016 में उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के जवाब में बिपिन रावत ने पीओके बालाकोट के आतंकी शिविरों को  तबाह करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करवाई थी और पैराकमांडो के जरिए इसे अंजाम दिया था. 

    मांद में घुसकर दुश्मन को मारने की शुरूआत उन्होंने ही की थी. मणिपुर में आतंकी हमले में भारत के 18 सैनिक शहीद हुए थे तो रावत ने पैरा कमांडो को म्यांमार भेजकर आतंकियों को मार गिराया था. वे चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब देते रहे. सीडीएस रावत ने थल, वायु और नौसेना की वर्तमान 17 कमानों को एकीकृत करने की प्रक्रिया शुरू की थी. वे ऐसे महत्वपूर्ण पद पर थे जो सेना के तीनों अंगों में समुचित तालमेल व समन्वय रखता है. 

    2022 तक वे नौसेना की पहली एकीकृत कमान बनाने के लिए कृत संकल्प थे. भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर भविष्य के युद्ध के लिए तैयार करना उनका लक्ष्य था. मेकेनाइज्ड वारकेयर के साथ एयरफोर्स और नेवी में बेहतर तालमेल बिठाना उनकी उपलब्धि थी. एक उच्च सेनाधिकारी के रूप में जनरल रावत काफी कठोर थे लेकिन जब वे जवानों से मिलते थे तो अत्यंत आत्मीयता से उनसे चर्चा करते थे तथा  उनके परिवारों के बारे में पूछा करते थे. पाकिस्तान के खिलाफ सख्त नीति अपनाने में वे पीछे नहीं रहे.

     उन्होंने खुलकर कहा था कि भारत 2 मोर्चों पर युद्ध  की संभावना से निपट रहा है. न्यूक्लीयर कमांड अथारिटी के सलाहकार के रूप में उनका काम अत्यंत मूल्यवान था. भारतीय सेना का प्रशिक्षण विश्वस्तर पर ऊंचे दर्जे का हो, इसके लिए वे प्रयत्नशील थे. वे साहस, सूझबूझ और नेतृत्व शक्ति की जबरदस्त मिसाल थे. उनके निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है.