सरकार की सराहनीय पहल, महाराष्ट्र के हर जिले में मेडिकल कॉलेज

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    स्वास्थ्य है तो सबकुछ है. स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन का आनंद ले सकता है तथा अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी हो सकता है. इस लिहाज से महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए राज्य के हर जिले में अगले 2 वर्षों में मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पताल खोलने जा रही है. यह जनहित में एक महत्वाकांक्षी योजना है. 

    इतने कॉलेज खुल जाने पर अधिक डॉक्टर तैयार होंगे. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अनुसार, प्रस्तावित मेडिकल कॉलेजों के निर्माण व क्रियान्वयन तथा संबंधित अस्पतालों के उन्नयन (अपग्रेडेशन) के लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से वित्तीय एवं तकनीकी सहायता मांगी जाएगी. चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार एडीबी से 4,000 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है जिसकी मंजूरी मिल चुकी है. 

    इस राशि का इस्तेमाल मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए किया जाएगा. महाराष्ट्र में अभी जितने मेडिकल कॉलेज हैं, वे आबादी के अनुपात में कम पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है. यदि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खुल जाए तो जनता को काफी राहत मिलेगी. अभी हालत यह है कि पड़ोसी राज्यों से भी लोग बड़ी तादाद में महाराष्ट्र में इलाज कराने आते हैं. 

    उपराजधानी नागपुर में छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी, बालाघाट जैसे मध्यप्रदेश के जिलों के मरीज आते हैं. इसे देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार अत्यंत आवश्यक है. फडणवीस ने कहा कि यदि एडीबी ने जल्द से जल्द धन मुहैया किया तो अगले 6 से 7 महीनों में नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण शुरू हो जाएगा. सरकारी व निजी भागीदारी के आधार पर मेडिकल कॉलेजों की स्थापना का काम समय पर पूरा किया जाएगा. 

    चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इलाज सुविधाओं के निर्माण के लिए 2030 तक की योजना तैयार की है लेकिन इससे पहले अच्छी सुविधाएं, अतिविशिष्ट इलाज और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. औरंगाबाद और लातूर में सरकारी मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है. पीपीपी आधार पर बननेवाले मेडिकल कॉलेजों में राज्य सरकार अपनी महात्मा फुले जन आरोग्य योजना लागू करने का विचार रखती है.