देश में परिवहन को सुगम और तीव्रगामी बनाने के लिहाज से एक्सप्रेस-वे निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना पर काम हो रहा है. सरकार की पहल और इरादे सराहनीय कहे जा सकते हैं लेकिन लगता है कि निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के अलावा धांधली और लापरवाही बरती जा रही है तभी तो बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के धंसने की घटना के कुछ माह बाद ही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे में भी गहरे गड्ढ़े पड़ गए. जब सड़क अचानक धंस जाए और कई फुट गहरा गड्ढ़ा हो जाए तो स्पष्ट है कि उसे बनाते समय कोताही बरती गई. एक्सप्रेस-वे का इस तरह धंसना किसी जानलेवा दुर्घटना की बड़ी वजह बन सकता है.
सुलतानपुर में लखनऊ से गाजीपुर को जोड़नेवाले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे निर्माण के दावों की पोल बरसात में खुल गई. लगातार बारिश के चलते अचानक सड़क धंस गई और 15 फुट गहरा गड्ढ़ा हो गया. इस गड्ढ़े की वजह से कई कारें क्षतिग्रस्त हुईं. प्रधानमंत्री मोदी ने 16 नवंबर 2021 को सुलतानपुर में अलवर कीरी एयर्ट्रिरप में इस एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण किया था. यह भी दावा किया गया था कि आपात स्थिति में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान यहां लैंडिंग और टेक ऑफ कर सकते हैं. ऐसे एक्सप्रेस-वे का इस बुरी तरह धंस जाना उसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करता है. इसके पूर्व योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के पांचवे ही दिन छिरिया सलेमपुर के पास चित्रकूट की ओर जानेवाली लेन की सड़क धंस गई थी.
21 जुलाई को हुए इस हादसे में पाइप लाइन टूटने से मिट्टी कट गई और 2 फुट चौड़ा व 6 फुट लंबा गड्ढ़ा हो गया था. यह भी कहा जा रहा है कि निर्माण विभाग पर रिकार्ड समय में एक्सप्रेस-वे तैयार करने का दबाव था. बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को 36 महीने में तैयार करने का लक्ष्य था लेकिन इसे रिकार्ड 28 महीने में बना लिया गया. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भी रिकार्ड 40 महीने के भीतर तैयार करने का दावा किया गया.
कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. एक्सप्रेस-वे बनाते समय वाहनों की आवाजाही के भार, भारी बारिश के प्रभाव जैसी बातों का भी पूर्व आकलन रहना चाहिए. इसलिए निर्माण में मजबूती और क्वालिटी की जरूरत है. हो सकता है कि कम समय में किफायती एक्सप्रेस-वे बनाने में बहुत से स्टैंडर्ड मानकों की अनदेखी की गई. इसकी जांच होनी चाहिए. निर्माण में जल्दबाजी और गुणवत्ता से समझौता करने का नतीजा सामने है.