चुनाव के समय दबावतंत्र, राहुल गांधी व TMC नेता के चॉपर की तलाशी क्यों

Loading

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है इसलिए यह स्वाभाविक उम्मीद रहती है कि आयोग किसी पार्टी विशेष की कठपुतली न बने और किसी दबाव में काम न करे। अपेक्षा की जाती है निर्वाचन आयोग सभी दलों और उनके नेताओं को चुनाव प्रचार का समान अवसर देगा। न केवल केंद्रीय एजेंसियां बल्कि चुनाव आयोग भी कुछ ऐसे समय उठा रहा है जो विपक्ष को व्यर्थ ही परेशान करनेवाले प्रतीत होते हैं।  

संदेह होता है कि क्या केंद्र सरकार या बीजेपी के इशारे पर इस तरह की कार्रवाई की जा रही है? इस तरह का एक्शन लेने का आधार और प्रयोजन आखिर क्या है? पहले तो रविवार को आयकर विभाग के अधिकारियों ने कोलकाता के बेहाला फ्लाइंग क्लब में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के हेलिकॉप्टर पर छापेमारी की और उनके सुरक्षा कर्मियों की जांच की। इसके बाद तमिलनाडु के नीलगिरी में चुनाव आयोग के फ्लाइंग स्क्वाड के अधिकारियों ने वहां उतरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हेलिकाप्टर की तलाशी ली। राहुल को प्रचार के लिए तमिलनाडु से केरल जाना था जहां के वायनाड से वह लोकसभा के लिए चुनाव लड़ते हैं। उनका हेलिकॉप्टर लैंड होने से पहले ही चुनाव आयोग के अधिकारी वहां पहुंच गए थे।
 
यह जांच और तलाशी आखिर किस बुनियाद पर हो रही है? अभिषेक बनर्जी ने कहा कि उनके हेलिकॉप्टर और सुरक्षा कर्मियों की जांच और छापेमारी की गई लेकिन कुछ मिला नहीं। क्या विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव से 5 दिन पहले मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है? राहुल गांधी के साथ भी ऐसा होना आश्चर्यजनक है। ऐसी बातों से चुनाव के पहले माहौल बिगड़ेगा।

बगैर किसी सूचना या सबूत के तलाशी लेने का क्या उद्देश्य है? क्या हेलिकाप्टर में रकम या शराब की बोतलें ले जाए जाने का शक था? यदि ऐसी बात है तो सत्ता पक्ष के उम्मीदवारों के भी हेलिकाप्टर और वाहनों की इसी तरह चेकिंग की जाए? चुनाव आयोग और केंद्रीय एजेंसियों से निष्पक्ष और न्यायोचित रवैया अपनाने की उम्मीद की जाती है। ऐसा हरगिज नहीं लगना चाहिए कि मनमानी और सतानेवाली कार्रवाई की जा रही है। यदि तलाशी में कुछ नहीं मिलता तो क्या ये अधिकारी उम्मीदवार से माफी मांगेंगे? क्या वे बता सकते हैं कि वे क्या खोजने आए और उन्हें किसने भेजा?