भारत जोड़ो का दूसरा चरण स्थगित जब संभव नहीं तो क्यों करते हैं घोषणा

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कोई नेता हो या राजनीतिक पार्टी, उसे अपनी घोषणा या वादे को हर हालत में निभाना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर विश्वास का संकट उत्पन्न हो जाता है. यदि कोई कार्य करना या अभियान शुरू करना संभव नहीं है तो व्यर्थ का गाजा-बाजा करने की क्या जरूरत है? इससे नेता या पार्टी की साख पर विपरीत असर पड़ता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा ने उनकी छवि को निखारा था तथा कांग्रेस के आधार को मजबूती प्रदान की थी.

उस यात्रा से बने अनुकूल माहौल की वजह से कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बाजी मार ली थी. भारत जोड़ो यात्रा के प्रथम चरण की सफलता से उत्साहित कांग्रेस की योजना महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर से इस यात्रा का दूसरा चरण शुरू करने की थी. लोग मानकर चल रहे थे कि यह यात्रा राहुल गांधी गुजरात में महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम से शुरू कर असम के गुवाहाटी तक पाएंगे. पश्चिम भारत से लेकर पूर्व भारत तक की इस यात्रा को लेकर लोगों में उत्सुकता थी. कांग्रेस ने इस वर्ष के अंत में होनेवाले विधानसभा चुनाव को भारत जोड़ो यात्रा की तुलना में अधिक महत्व दिया.

कई कारणों पर विचार कर यह यात्रा स्थगित की गई. दूसरे चरण में यह यात्रा मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे चुनावी राज्यों से होकर गुजरती. ऐसी हालत में इन राज्यों के नेताओं के साथ पार्टी के केंद्रीय नेताओं की भागीदारी भारत जोड़ो यात्रा में बढ़ जाती. इससे चुनावी राज्यों में प्रचार अभियान प्रभावित होता. चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद यात्रा चुुनावी राज्यों से गुजरती तो इसका खर्च पार्टी और उसके उम्मीदवारों के चुनावी व्यय में जुड़ सकता था.

इन बातों को देखते हुए फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण स्थगित किया गया है. माना जाता है कि 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव निपटने के बाद ही राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण की शुरूआत करेंगे. कांग्रेस को पहले ही सारी स्थितियों का आकलन कर लेना चाहिए था. जब मालूम था कि वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो यात्रा की घोषणा आखिर किसलिए की थी?