EVM को हटाने की याचिका, मतपत्र पर वापसी की मांग सुको ने ठुकराई

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आगे बढ़े हुए कदम पीछे हटाने का कोई औचित्य नहीं है। देश में 98 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाता हैं। इनमें से 60 करोड़ ने भी मतदान किया तो इतने अधिक वोटों की गिनती और चुनाव नतीजे सिर्फ ईवीएम (EVM) के माध्यम से सहजता से आ सकते हैं इसलिए बैलट पेपर (Ballot Paper) पर फिर से लौटने की मांग या दलील आज की तारीख में बेमतलब है। ईवीएम को हटाने की एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की ओर से पेश याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दलील पेश करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने जर्मनी का उदाहरण देते हुए मतपत्रों से चुनाव कराने पर लौटने की मांग की। इस पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा कि भारत में चुनाव कराना बहुत बड़ा कार्य है।

कोई भी यूरोपीय देश ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता। जहां तक जर्मनी की बात हैं, वहां की आबादी कितनी है? मेरा गृहराज्य बंगाल जर्मनी से कहीं अधिक जनसंख्यावाला है। यह दलील बेमानी है कि कई यूरोपीय देश वोटिंग मशीनों का परीक्षण करने के बाद बैलट पेपर से मतदान पर वापस लौट आए हैं। हमें चुनाव प्रक्रिया में आस्था और विश्वास बनाए रखना होगा। इस तरह तंत्र को कमजोर करने की कोशिश न की जाए। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि कुछ मानवीय त्रुटियों की वजह से वोटों की गिनती में कुछ विसंगति हो सकती है। समस्या तब पैदा होती है जब मानवीय हस्तक्षेप होता है या जब सॉफ्टवेयर या मशीन में अनधिकृत परिवर्तन किया जाता है।

इसे रोका या सुधारा भी जा सकता है। यदि याचिककर्ता के पास इसे रोकने के लिए कोई सुझाव हो तो वह कोर्ट को दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अदालत में मौजूद चुनाव आयोग के अधिकारियों से ईवीएम की कार्यप्रणाली, उसके भंडारण और हेरफेर की आशंका को लेकर भी सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को याद दिलाया कि जब ईवीएम नहीं थी तब क्या होता था, यह बताने की जरूरत नहीं है। तब चुनाव नतीजों में हेरफेर करने के लिए मतदान केंद्रों पर कब्जा कर लिया जाता था।  

उस बूथ कैप्चरिंग के दौर को न भूला जाए। प्रशांत भूषण ने दलील दी कि ईवीएम और वीवीपैट दोनों में 2 अलग चिप होती हैं। एक मेमोरी जिसे प्रोग्राम किया जा सकता है और दूसरी फ्लैश मेमोरी होती है। उन्होंने मशीन के शीशे को पारदर्शी बनाने और सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों के शतप्रतिशत मिलान के लिए गिनती को अव्यावहारिक बताया। चुनाव आयोग ने कहा कि यदि ऐसा किया गया तो सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती में 12 दिन लग जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने वोट देने के लिए बारकोड का सुझाव भी अमान्य कर दिया।