चुनौतियां अभी बाकी हैं, कागजों में घटी दर महंगाई कहां हुई कम

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महंगाई दर का पिछले 4 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंचना आश्वस्त करता है. लेकिन वर्तमान वैश्विक अस्थिरता के माहौल में इसे बनाए रखने और केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित 4 फीसदी के लक्ष्य तक लाने की चुनौती बड़ी है. ऐसे समय में, जब ज्यादातर उन्नत अर्थव्यवस्थाएं पिछले कई महीनों से बढ़ती महंगाई से जूझ रही हो, तब अपने यहां खुदरा महंगाई दर का अक्टूबर में घटकर 4.87 फीसदी पर पहुंचना, जो पिछले 4 महीने का न्यूनतम स्तर है, उत्साहित करने वाली खबर है.

अक्टूबर में थोक महंगाई दर भी, जो विगत अप्रैल से ही शून्य से नीचे चल रही है, घटकर शून्य से 0.52 फीसदी नीचे चली गई. लेकिन आम आदमी के लिए खुदरा महंगाई दर में कमी ज्यादा मायने रखती है. खुदरा महंगाई दर में आई कमी से यह संकेत भी मिलता है कि केंद्रीय बैंक अगले महीने होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को एक बार फिर अपरिवर्तित ही रख सकता है. में अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर के नीचे रहने की वजह खाने- पीने की वस्तुओं व रसोइंगैस के दामों में कमी होना बताया जा रहा है. दरअसल, पिछले सिलिंडर पर 300 रुपये की सब्सिडी मिल रही थी. 

खाद्य प्याज और अन्य सब्जियों की कीमतें नवंबर की शुरुआत से ही बढ़नी शुरू महीने केंद्र सरकार ने हो गई हैं, जो चिंताजनक प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के है. अगर ये कीमतें इस तहत रसोईगैस के लिए दी जा महीने कम नहीं हुई तो यह रही सब्सिडी बढ़ाई थी, महंगाई दर को केंद्रीय बैंक जिससे लाभार्थियों को हर द्वारा निर्धारित 6 फीसदी के खतरे की रेखा की ओर धकेल देगी, जिसके बारे में केंद्रीय बैंक के गवर्नर मूल्य सूचकांक आधारित शक्तिकांत दास खुद कहचुके हैं कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म सूचकांक के आधे हिस्से का नहीं हुई है.

समग्र उपभोक्ता मूल्य प्रतिनिधित्व करती है. सांख्यिकीय व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अनुसार, खाद्य महंगाई 1 साल पहले के 7.01 फीसदी की तुलना में अक्टूबर में 6.61 फीसदी पर पहुंच गई. हालांकि, बीते सितंबर के 6.56 फीसदी की तुलना में यह कुछ बढ़ी है, खुदरा महंगाई का घटना अच्छी बात है लेकिन आगे की राह मुश्किल हो सकती है. रूस – यूक्रेन और इजरायल हमास में चल रहे संघर्ष से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ने से खाद्य महंगाई बढ़ने का जोखिम लगातार बना हुआ है. इसके अलावा, खासकर प्याज और अन्य सब्जियों की कीमतें नवंबर की शुरुआत से ही बढ़नी शुरू हो गई हैं, जो चिंताजनक है.

 अगर ये कीमतें इस महीने कम नहीं हुई तो यह महंगाई दर को केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित 6 फीसदी के खतरे की रेखा की ओर धकेल देगी, जिसके बारे में केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास खुद कह चुके हैं कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. दरअसल, केंद्रीय बैंक महंगाई को 2 से 6 फीसदी के बीच नहीं, बल्कि 4 फीसदी पर रखना चाह रहा है, जो वर्तमान अस्थिर माहौल में किसी चुनौती से कम नहीं है,