आखिर 2 समर्थक मंत्री बने, सिंधिया का दबाव रंग लाया

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ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की अपने समर्थकों सहित कांग्रेस से बगावत के कारण मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में पुन: बीजेपी के हाथ सत्ता आई और शिवराजसिंह चौहान सीएम बने. इसके बाद विधानसभा उपचुनाव भी हो गए जिनमें सिंधिया समर्थकों ने कांग्रेस को धूल चटा दी. इसके बावजूद मंत्रिमंडल का विस्तार अटका हुआ था. ऐसा कोई भी निर्णय केंद्रीय नेताओं व संघ से मंजूरी लेने के बाद ही संभव था. आखिर उपचुनाव के 53 दिन बाद शिवराजसिंह सरकार के तीसरे कैबिनेट विस्तार का मुहूर्त आया जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक गोविंदसिंह राजपूत (Govind Rajput) और तुलसीराम सिलावट  (Tulsiram Silawat) को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

इससे स्पष्ट हो गया कि इंतजार का फल मीठा होता है. खास बात यह है कि सिंधिया का दबाव काम आया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी जानते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही उनकी सरकार बनी, इसलिए उनके उन समर्थकों को, जो पहले कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रह चुके थे, कैबिनेट में शामिल करना जरूरी था. इस विषय को लेकर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा और सिंधिया के साथ मुख्यमंत्री की 4 दौर की बैठकें हुईं. इस समय शिवराजसिंह कैबिनेट में 6 मंत्री पद की जगह खाली थी लेकिन 2 ही मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. इस तरह 4 पद अभी भी खाली हैं.

अब मुख्यमंत्री के सामने यह भी प्रश्न है कि बीजेपी के असंतुष्ट और आस लगाए बैठे कई विधायकों व पूर्व मंत्रियों को कैसे संतुष्ट किया जाए? उन्हें भी तो संभालना है! इसके लिए मुख्यमंत्री निगम, मंडल और आयोग के खाली पड़े हुए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पदों पर इन विधायकों व पूर्व मंत्रियों की नियुक्ति कर सकते हैं. इसके अलावा एक रास्ता और भी है. कुछ बीजेपी विधायकों को पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण पद व जिम्मेदारी देकर उनके असंतोष को कम किया जा सकता है.