Bird flu

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लोग लखनवी चिकन के कपड़े पहन सकते हैं लेकिन चिकन (Chicken) नहीं खा सकते. देश के 7 राज्यों में बर्ड फ्लू (Bird Flu Strain) फैलने की केंद्र सरकार ने पुष्टि कर दी है जबकि दिल्ली, महाराष्ट्र (Maharashtra) के नमूनों की रिपोर्ट का इंतजार है. मुर्गी, बतख, कौए, मोर, कबूतर, तोता ही नहीं, विदेश से आए प्रवासी पक्षी भी इसकी चपेट में आकर जान गंवाते जा रहे हैं. अब तक इंसान कोरोना से परेशान रहा तो अब नभचर पक्षियों के लिए बर्ड फ्लू काल बन गया है. पोल्ट्री वालों का बुरा समय आ गया.

ग्राहक अंडे-मुर्गी से परहेज कर रहे हैं. मुर्ग मुसल्लम के शौकीन शाकाहारी बनने पर मजबूर हैं. कबूतर पालने का नवाबी शौक भी अब महंगा पड़ेगा. इंसान कोरोना से बचने के लिए मास्क लगा सकता है, साबुन से बार-बार हाथ धो सकता है, पक्षी (Birds) बेचारा क्या करेगा? सबेरे से दाना-तिनका खोजने उड़ान भरने वाला पक्षी घोंसले के भीतर छुपकर आइसोलेशन में नहीं रह सकता. उसकी हालत दैनिक वेतनभोगी जैसी है.

पंख फड़फड़ाए बिना उसे चैन कहां! पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोय, पंछी बनूं उड़ती फिरूं मस्त गगन में, एक डाल पे तोता बैठे, एक डाल में मैना, हम पंछी एक डाल के, चुन-चुन करती आई चिड़िया जैसे गीत लिखने वाले डरेंगे. सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान में ‘तेरी भूख का इलाज चिकन कुकडूं कूं’ जैसा गीत था. बर्ड फ्लू के बाद अब मुर्गे पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वह बांग देगा तभी सबेरा होगा. लोग पहेलियां बुझाना बंद करेंगे कि पहले मुर्गी हुई थी या अंडा! अड़ियल किस्म के व्यक्ति भी अब जल्दी मान जाएंगे और मेरी मुर्गी की डेढ़ टांग कहते हुए व्यर्थ की बहस नहीं करेंगे. बर्ड फ्लू का इतना असर तो पड़ना ही है.