पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, चुनाव पर शादी भारी पड़ गई. राजस्थान में अब 23 नवंबर को होनेवाला मतदान 25 नवंबर को कराया जाएगा. वजह यह है कि 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है. उस दिन राजस्थान में 50,000 से अधिक शादियां होती हैं. लोग शादी में व्यस्त रहते तो वोटिंग करने कैसे जाते. मतदान केंद्र खाली रह जाते इसलिए चुनाव आयोग ने अपनी गलती सुधारते हुए तारीख बदल दी. इस तरह चुनाव के मुकाबले शादी को तरजीह दी गई.’’
हमने कहा, ‘‘शादी भी तो वर-वधु के चुनाव का नतीजा होती है. लोग बेटी के लिए अच्छे से अच्छा वर खोजते हैं. ऐसे ही घर में सुंदर, सदगुणी, सरकारी और सुशिक्षित बहू लाने के लिए अच्छी सी लड़की देखी जाती है. यह चुनाव या चयन बहुत सोचसमझकर किया जाता है. इसलिए उम्मीदवार के इलेक्शन और शादी के लिए वर-वधु के सिलेक्शन में ज्यादा कर्ज नहीं है.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज चुनाव हर 5 वर्ष में होते हैं इसलिए विधायक या सांसद को निश्चित अवधि के बाद बदला जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार विवाह 7 जन्मों का बंधन होता है इसलिए जीवनसाथी या जीवन संगिनी को उसके गुण-दोषों के बावजूद निभाना पड़ता है. वैसे अपवाद रूप में पश्चिमी प्रयास से लिव इन और तलाक का चलन भी देखा जा रहा है.’’
हमने कहा, ‘‘बात राजस्थान की हो रही है जहां देवउठनी एकादशी और अक्षय तृतीया को हजारों शादियां होती हैं. लोग मानते हैं कि दीपावली के 11 दिन बाद पड़नेवाली इस एकादशी को चातुर्मास समाप्त हो जाता है और क्षीरसागर में शेषशय्या पर सोए भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जाग जाते हैं. उसी दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह भी कराया जाता है. यह शादी-ब्याह के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त रहता है.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, लव मैरिज करनेवाले कोई मुहूर्त नहीं देखते. ये कोर्ट या आर्य समाज मंदिर में जाकर शादी कर लेते हैं लेकिन परंपरागत आस्था रखनेवाले सभी लोग मुहूर्त का महत्व देते हैं. चुनाव आयोग इस आस्था के सामने झुक गया और उसने मतदान की तारीख बदल डाली. इससे उम्मीदवारों को और 2 दिन प्रचार का मौका मिल जाएगा.’’