पार्टी छोड़ने पर नहीं कोई रोक, जिसे शोक नहीं, उसका नाम अशोक

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें अशोक के संबंध में बताइए।  यह नाम कब से चला आ रहा है और इसका उल्लेख कहां-कहां पर मिलता है।  अशोक का अर्थ भी स्पष्ट करें तो अच्छा रहेगा?’’

हमने कहा, ‘‘आपकी जिज्ञासा सराहनीय है।  हर व्यक्ति को अशोक के संबंध में जानकारी रखनी चाहिए। अशोक का अर्थ होता है शोकरहित अर्थात जिसे किसी बात का शोक या दुख न हो।  उसकी मानसिक स्थिति यही रहती है कि सुख-दुख समेकृत्वा।  वह सुख और दुख में समान भाव रखकर निरपेक्ष बना रहता है।  रावण ने सीताजी को अशोक वाटिका में रखा था।  हनुमानजी ने वहां के फल खाने के अलावा वृक्षों को तोड़कर अशोक वाटिका उजाड़ दी यानी तहस नहस कर दी थी।  इसका उल्लेख आपको रामायण के सुंदरकांड में मिलेगा।  अशोक का वृक्ष त्रेता युग से कलियुग तक चला आ रहा है। ’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम किसी झाड़-पेड़ की नहीं, अशोक नामक व्यक्ति की बात कर रहे हैं।  इसलिए हमें सही-सही और पक्की जानकारी दीजिए। ’’

हमने कहा, ‘‘इतिहास में अशोक महान का नाम मशहूर है।  सम्राट अशोक अत्यंत प्रतापी थे।  कलिंग के युद्ध में भारी नरसंहार देखकर उनका हृदय परिवर्तन हो गया।  उन्होंने बौद्ध धम स्वीकार कर लिया।  इतना ही नहीं उन्होंने अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को बौद्ध धर्म का प्रचार करने लंका भेज दिया था। ’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जिसका नाम अशोक होता है, उसका समय के साथ हृदय परिवर्तन अवश्य होता है।  ऐसा व्यक्ति ‘आदर्श’ से प्रेरित होकर कोई निर्णायक कदम उठा लेता है।  अब देखिए न, महाराष्ट्र के 2 टर्म मुख्यमंत्री रह चुके 65 वर्षीय अशोक चव्हाण ने कांग्रेस छोड़ दी।  सम्राट अशोक ने हिंसा त्याग कर अहिंसा का मार्ग चुना था।  अशोक चव्हाण ने भी बेहिचक कांग्रेस त्याग दी।  मिलिंद देवड़ा और बाबा सिद्दिकी के बाद कांग्रेस छोड़नेवाले वे महाराष्ट्र के तीसरे नेता हैं। ’’

हमने कहा, ‘‘जब अशोक की चर्चा कर ही रहे हैं तो पुराने सम्मानित अभिनेता अशोक कुमार को भी याद कीजिए जिन्हें लोग आदर से दादा मुनि कहा करते थे।  उनका भी एक जमाना था!’’