फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया, विधायक ने सारे शहर में घुमाया हवन कुंड

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कर्नाटक के बेलगाम में बीजेपी के विधायक अभय पाटिल ने सारे शहर को धूम्रपान करा दिया. जनता को अनिवार्य रूप से स्मोकिंग करनी पड़ी. सभी के नाक-मुंह में धुआं चला गया.’’ हमने कहा, ‘‘कैसी अजीब बात कर रहे हैं आप! ऐसा भी कभी हो सकता है?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कोरोना को दूर भगाने के लिए बीजेपी के बेलगाम दक्षिण के विधायक अभय पाटिल ने होम-हवन यज्ञ किया. इसमें भरपूर आहुतियां डाली गईं जिससे धुएं का गुबार उठने लगा. फिर इस धधकते हवन कुंड को खुली गाड़ी में रखकर समूचे शहर में घुमाया गया.

    नागरिकों ने सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर सड़कों पर भीड़ की, जिससे हवन का पवित्र धुआं उनकी नाक व आंखों में गया.’’ हमने कहा, ‘‘तब तो कितने ही लोगों का खांसते-खांसते बुरा हाल हो गया होगा! आंख और नाक से पानी बहने लगा होगा. इस तरह शहर में धुएं का गुबार उड़ाने की जरूरत ही क्या थी?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इसके पीछे की महान भावना समझिए. बीजेपी भारत की प्राचीन संस्कृति तथा होम-हवन-यज्ञ के प्रति आस्था रखती है. पुराने ऋषि-मुनि अपने आश्रम में नियमित रूप से हवन किया करते थे. यज्ञ में जो वनौषधियुक्त हवन सामग्री डाली गई होगी, उसके धुएं से कोरोना वायरस या तो मर गया होगा या फिर घबराकर भाग गया होगा.’’ हमने कहा, ‘‘धुएं से ब्रांकाइटिस और अस्थमा के मरीजों का दम घुटता है. सांस लेना दूभर हो जाता है. वायु प्रदूषण का एक कारण धुआं भी है.

    बीजेपी विधायक को इस तरह शहर में धुआं फैलाने से पहले पर्यावरण विभाग से अनुमति लेनी चाहिए थी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आस्था को अनुमति की आवश्यकता नहीं होती. जब बिजलीघर और कारखानों की चिमनियों का धुआं जनता बर्दाश्त कर लेती है तो यह तो हवन का पवित्र धुआं था जिसमें देसी घी और हवन सामग्री की सुगंध रही होगी.’’ हमने कहा, ‘‘तब तो लोगों में कोरोना का डर दूर हो गया होगा. धुआं सूंघनेवाले गाने लगे होंगे- हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया!’’