सिंह-सिंहनी के नाम को लेकर विवाद, विहिप को नापसंद लव जिहाद

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, विश्व हिंदू परिषद सिर्फ हिंदुओं की ही नहीं, बल्कि सिंहों या बब्बर शेर की भी पूरी फिक्र करती है। उसे किसी भी प्रकार का लव जिहाद पसंद नहीं है चाहे इंसानों का हो या वन्य पशुओं का! त्रिपुरा के चिड़ियाघर से सिलिगुड़ी लाए गए सिंह-सिहिंनी के जोड़े को लेकर विहिप की जोरदार आपत्ति है। वजह यह है कि सिंह का नाम अकबर है और सिंहनी का नाम सीता! ये दोनों त्रिपुरा के चिड़ियाघर में एक साथ रहते थे लेकिन सिलिगुड़ी के जू में उन्हें अलग-अलग रखा गया है ताकि उनके नाम की वजह से भावना न भड़कने पाएं।’’

हमने कहा, ‘‘यदि सिंह का नाम ‘अकबर’ है तो सिंहनी का नाम ‘जोधा’ रखना था और फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारीकर से जोधा-अकबर के जोड़े के एनक्लोजर का उद्घाटन कराना था।’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, चिड़ियाघर के प्रबंधकों को नामों की सही जोड़ी बनानी थी। हमारे देश में सीता-राम, राधा-कृष्ण जैसे नाम लोगों की जुबान पर हैं। अकबर नाम मुस्लिम है। इस्लाम सिर्फ 1400 वर्ष पुराना है। सीता-राम के त्रेता युग में कोई मुस्लिम नहीं था। विहिप की सोच बड़ी तर्कसंगत है। क्या इन जंगली जानवरों का नाम नहीं बदला जा सकता?’’

हमने कहा, ‘‘जानवर भी अपना नाम पहचानता है क्योंकि मालिक शुरूआत से ही किसी खास नाम से उसे संबोधित करता है। आप मोती नामक कुत्ते को टाइगर कहकर बुलाओ तो आपके पास नहीं आएगा। इसलिए इंसान भले ही हलफनामा देकर अपना नाम पार्टी या पेशा बदल ले लेकिन जानवर का नाम कभी नहीं बदल सकता। उसका अपने नाम के साथ जिंदगी भर का कमिटमेंट होता है।’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘नाम के मुद्दे को लेकर ही लेखिका झुम्पा लाहिडी ने ‘नेमसेक’ नामक रोचक उपन्यास लिखा जिस पर इसी नाम की फिल्म भी बनी और उस फिल्म के हीरो की भूमिका इरफान खान ने निभाई थी। अमेरिका में बच्चे के जन्म के पहले ही अधिकारियों को उसका नाम दे देना अनिवार्य होता है ताकि जन्म के साथ ही उसके नाम के साथ बर्थ सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाए। इसलिए अस्पताल वालों को एक लड़के का नाम और दूसरा लड़की का नाम एडवांस में दे दिया जाता है। इनमें से जो भी हुआ उसको वैसा नाम दे दिया जाता है। बंगाल में हर बच्चे के 2 नाम होते हैं- डाक नाम (घरेलू नाम) और भालोनाम (बाहर प्रचलित नाम)।’’

हमने कहा, ‘‘अपने यहां हिंदी फिल्मों में नौकर का नाम हमेशा रामू काका रहता है।’’