Doubt on who will win, from Bajrang Dal to Bajrang Bali

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पड़ोसी ने कहा,  ‘निशनेबाज, कर्नाटक के चुनाव का नाटक समूचा देश देख रहा है. वहां की राजनीति बजरंग दल से शुरू होकर बजरंगबली तक जा पहुंची. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में स्टुडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और बजरंग दल को एक समान खतरनाक बताते हुये चुनकर आने पर बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कहीं. इस मुद्दे को बीजेपी ने बड़ी चालाकी से भुना लिया. बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस पहले राम के खिलाफ रही और अब बजरंग बली का विरोध कर रही है. अब कांग्रेस सफाई देरही है कि उसने बजरंग दल का विरोध किया, बजरंगबली के प्रति वह भी आस्था रखती है. चुनाव जीतने पर कांग्रेस बजरंग बली के मंदिर बनवाएंगी.’ हमने कहा, ‘कांग्रेस को यह मुद्दा उआना ही नहीं चाहिए था. पता नहीं राहुल गांधी के कौन से ऐसे सलाहकार है जो चुनाव मैनिफेस्टो में विवाहित मुद्दे जोड़कर व्यर्थ का बखेड़ा खड़ा कर देते हैं. बजरंग दल का बजरंग बली या हनुमानजी से क्या लेना देना. यह तो संघ परिवार का एक घटक है. गुजरात में बाबू बजरंगी ने खुद कहा था कि उसे अलपसंख्याकों की हत्या करने में मजा आता है.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, कर्नाटक में गुजरात की बात मत लाइए. कर्नाटक के लोग मानते हें कि बजरंगबली का जन्म उनके राज्य में हुआ था. ऐसा ही दावा तेलंगाना वासियों का भी है. पॉलिटिक्स में बजरंगबली की चर्चा इसलिये है क्योंकि वे जिसे चाहें राजपाट दिला देते हैं. हनुमानजी ने किष्किंधा का राज सुग्रीव को दिलाया था. इसके बाद विभीषण को भी राम से मिलाकर लंका का राज विभीषण को दिलवाया था. अब मोदी चाहते हैं कि बजरंग बली का नाम लेकर हनुमान चालीसा पढ़ने से कर्नाटक में बीजेपी फिर से चुनाव जीत जाए. मोदी कई किलोमीटर लंबा रोड शो निकालकर अपनी ताकत दिखा रहे हैं तो कांग्रेस भी पूरजोर लगा रही है कि इस बार बीजेपी जीतने न पाएं. त्रिशंकु विधानसभा चुनी गई तो वो जदसे तालमेल कर अगली सरकार बनेगी. अभी तो भाजपा भजन गा रही है- ‘‘बजरंगी, हमार सुध लेना, भुलाय नहीं देना, विनय तुमसे बार-बार है.’’