3 राज्यों में प्रमुदित हुए भक्तजन, विष्णु, मोहन और भजन

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज हमारे महान भारतवर्ष में भक्तिभाव की सनातन परंपरा रही है. ज्ञान और कर्म की तुलना में भक्ति को श्रेष्ठ बताया गया है. रामायण में नवधा भक्ति का उल्लेख है. भक्ति करनी है तो भजन करो. भजन में भाव और तल्लीनता होनी चाहिए तभी उसकी सार्थकता है. एक प्रार्थना में कहा गया है- अब प्रभु कृपा करहु एही भांति, सब तजि भजन करहूं दिन राती!’’ हमने कहा, ‘‘आज आप भक्ति रस में डूबे नजर आते हैं तभी तो भजन पर इतना जोर दे रहे हैं. इसके बावजूद कलियुग में ऐसे लोग ज्यादा देखे जाते हैं जिनका सिद्धांत रहता है- राम-राम जपना, पराया माल अपना!’’

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, भजन कहां नहीं है! आपको याद होगा कि एक समय कहा जाता था- हरियाणा के 3 लाल बंसी, देवी, भजनलाल. वहां की राजनीति में ये तीनों नाम बेहद चर्चित चेहरे थे. अब भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं. इसलिए हरियाणा के पुराने भजनलाल को भूलकर राजस्थान के नए भजनलाल को श्रद्धापूर्वक निहारिए.’’

हमने कहा, ‘‘भजन की सार्थकता तब है जब वह तबला, ढोलक, झांझ, मंजीरे के साथ मधुर स्वर में गाया जाए. राजस्थान ही नहीं, पूरे देश में मीराबाई के भजन प्रसिद्ध हैं. अगले माह अयोध्या के भव्यतम मंदिर में रामलला विराजेंगे इसलिए समूचे देशवासी आनंदित होकर भजन करेंगे. हमें भी वह भजन पसंद है जिसके बोल हैं- घर आए लक्ष्मण-राम पुरी में आनंद भयो. आप भी गा सकते हैं- रामजी की निकली सवारी, रामजी की लीला है न्यारी!’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज भाजपा की आस्था प्रशं‍सनीय है. उसने 3 राज्यों में विष्णु, मोहन और भजन को मुख्यमंत्री पद के लिए तरजीह दी. आप छत्तीसगढ़ जाकर विष्णु दर्शन कीजिए, फिर मध्यप्रदेश में मोहन की मुरली की तान सुनिए. इसके बाद राजस्थान जाकर भजन कीजिए. इससे आपके मन में भाजपा के प्रति भक्तिभाव का संचार होगा.’’

हमने कहा, ‘‘आपने सही कहा, विष्णु भगवान जगत के पालनकर्ता हैं. मोहन सभी का मन मोह लेते हैं. उनका भजन करते हुए आप गा सकते हैं- बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके बृजबाला. मुरलीवाले मुरली बजा, मुरली की धुन पर नाचे जिया!’’