nishanebaaz-sharad-pawar-advises-rahul-gandhi-and-congress-to-keep-quiet-on-savarkar

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जब भीष्म पितामह ने कौरवों और पांडवों को शस्त्रविद्या का प्रशिक्षण देने के लिए द्रोणाचार्य की नियुक्ति की थी तब आचार्य द्रोण ने परख लिया कि लक्ष्य के प्रति एकाग्रता सिर्फ अर्जुन में है. बाकी शिष्यों को पूरा वृक्ष, उसके पत्ते, फल, फूल नजर आ रहे थे लेकिन जब अर्जुन से उसके निशाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उत्तर दिया कि गुरुदेव मुझे तो सिर्फ चिड़िया की आंख नजर आ रही है. द्रोणाचार्य ने पहचान लिया कि असली शार्प शूटर सिर्फ अर्जुन ही है.’’

हमने कहा, ‘‘महाभारत का किस्सा सुनाने की बजाय आप मोदी का नया भारत देखिए. अतीत की बजाय वर्तमान को निहारिए. इस समय राहुल गांधी निशाना साधने में लगे हुए हैं लेकिन राजनीति के अनुभवी कोच शरद पवार समझ गए कि राहुल की हालत कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना जैसी हो रही है. उन्हें बीजेपी को लक्ष्य बनाना है लेकिन देख रहे हैं सावरकर की ओर. पवार ने राहुल को सही सीख देते हुए कहा कि सावरकर पर बयानबाजी करने से वह मुख्य लक्ष्य से भाग सकते हैं. संसद में और संसद के बाहर हम प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं. ऐसे में हमारा मुख्य उद्देश्य बीजेपी को हराना होना चाहिए. हमारी लड़ाई मोदी और बीजेपी के खिलाफ है न कि सावरकर के खिलाफ! यदि राहुल सावरकर के मुद्दे पर बयान देंगे तो 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने का खेल बिगड़ जाएगा.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, वैसे भी आरएसएस और बीजेपी से सावरकर का कोई संबंध नहीं था. सावरकर हिंदू महासभा के नेता और क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत थे. उन्हीं की मदद से उधमसिंह ने लंदन में जालियांवाला बाग नरसंहार के दोषी माइकल ओ डायर को भरी सभा में गोली मारकर यमलोक पहुंचा दिया था. अंदमान-निकोबार की सेल्युलर जेल में काला पानी की सजा भोगते समय सावरकर को कोल्हू चलाकर तेल निकालना पड़ता था. उन्होंने राष्ट्रभक्ति की कविताएं और गीत भी रचे थे. इसलिए राहुल गांधी को सावरकर का मुद्दा तत्काल छोड़कर अपना ध्यान सिर्फ असली लक्ष्य पर केंद्रित करना चाहिए. द्रौपदी के स्वयंवर में अर्जुन ने मछली की आंख पर निशाना लगाया था. उसी तरह राहुल भी राजनीति के इस मोड़ पर सिर्फ मोडानी पर ध्यान केंद्रित करें. पवार का परामर्श यही है.’’