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इन चुनावी वादों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, चुनाव का मौसम ढेर सारी सौगात लेकर आया है और हर नेता उपहार बांटनेवाला सांता क्लाज बन जाता है. जैसे पहले कव्वाली मुकाबला हुआ करता था वैसे ही लुभावने वादों का चुनाव मुकाबला होने लगा है. बीजेपी ने यूपी में फिर से सत्ता में आने पर किसानों को मुफ्त बिजली, कॉलेज जाने वाली मेधावी छात्राओं को मुफ्त स्कूटी तथा परिवारों को होली और दिवाली के मौके पर मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने का वादा किया है.

    इसके जवाब में सपा ने किसानों को कर्ज माफी, 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त, 2 बोरी डीएपी खाद, 5 बोरी यूरिया, 1 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया है. अखिलेश यादव का वादा है कि महिलाओं को सभी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षणके अलावा असंगठित क्षेत्र के कामगारों को प्रतिवर्ष 18,000 रुपए की मदद दी जाएगी. इन चुनावी वादों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

    हमने कहा, ‘‘आपको राजेश खन्ना पर फिल्माया गया गीत याद होगा- वादा तेरा वादा, वादे पे तेरे मारा गया ये सीधा-सादा. यदि चुनाव जीतने वाली पार्टी ने वादा खिलाफी की तो जनता कहेगी- क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा. पार्टियों के सामने शर्त रखी जा सकती है- जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, वादे लॉलीपाप साबित हो सकते हैं जिसे दिखाकर वोट मांगे जा रहे हैं यह खोखले प्रामिस हैं, प्रामेसरी नोट नहीं जिन्हें भुनाया जा सके. आपने फिल्म ‘उपकार’ का गीत सुना होगा- कसमें- वादे, प्यार, वफा सब बातें हैं, बातों का क्या!’’

    हमने कहा, ‘‘चुनावी वादों पर कोर्ट भी रोक नहीं लगा सकता. पार्टियां जनता को सुंदर सपने या सब्जबाग दिखा रही है. लुभावने के लिए ऐसा पैंतर अपनाना ही पड़ता है. पार्टियां भी जानती हैं कि टेढ़ा है वोटर को पटाना फिर भी डालती जा रही है दाना. हर पार्टी अभी महादानी राजा बलि और दानवीर कर्ण बनती नजर आ रही है. जब चुनाव हो जाएगा उसके बाद पता चलेगा कि कौन है सच्चा और कौन है झूठा! तब हताश मतादाता कहेगा रात ने क्या-क्या ख्वाब दिखाए, रंग भरे सौ जाल बिछाए, आंखें खुली तो सपने टूटे, रह गए गम के काले साए.’’