संजय राऊत हुए अधीर, 12 करोड़ की कार वाले कैसे हुए फकीर

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, शिवसेना नेता संजय राऊत ने टिप्पणी की है कि प्रधानमंत्री मोदी के बेड़े में 12 करोड़ रुपए की मर्सिडीज मेबैक कार शामिल है इसलिए अब उन्हें खुद को फकीर नहीं कहना चाहिए. उन्होंने यह बात इसलिए कही क्योंकि मोदी ने एक अवसर पर कहा था कि हम तो फकीर आदमी हैं, कभी भी झोला उठाकर चल देंगे. पीएम कभी खुद को फकीर कहते हैं तो कभी प्रधान सेवक!’’ 

    हमने कहा, ‘‘फकीर फक्कड़ स्वभाव का औलिया होता है जो बेलौस तरीके से अपने मन की बात कह जाता है. संजय राऊत को नियमित रूप से मोदी के मन की बात सुननी चाहिए. जहां तक फकीर शब्द की बात है, सबसे पहले संत कबीरदास ने कहा था- मन लागो मेरो यार फकीरी में! ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने महात्मा गांधी के प्रति नफरत जताते हुए उन्हें नैकेड फकीर या नंगा फकीर कहा था. फकीर बेफिक्र होता है.

    उसकी हालत यह रहती है कि आगे नाथ न पीछे पगहा! जोरू न जाता, अल्ला मियां से नाता! कुछ पहुंचे हुए फकीर लोगों का भविष्य भी बताते हैं. एक पुराने फिल्मी गीत की पंक्ति है- इधर तो हाथ ला प्यारे, दिखाऊं दिन को भी तारे, लिखा है क्या लकीरों में, फकीरों से सुनता जा रे! फकीर के पास ऐसी दूरदृष्टि या विजन होता है जो आम आदमी के पास नहीं होता.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मोदी के पास 12 करोड़ की बुलेटफ्रूट कार होने के बारे में आप क्या कहेंगे? क्या यह बात किसी फकीर के लिए सुसंगत है?’’ हमने कहा, ‘‘पहुंचे हुए फकीर कहते हैं कि मेरे भक्त मुझे प्रेम से जिस हालत में रखेंगे, मैं रहूंगा. अब यदि फकीर को भक्त कभी नौलखा सूट पहना दें, तरह-तरह की टोपी या पगड़ी पहना दें तो यह उनकी भक्ति और श्रद्धा है. 

    फकीर का लिबास कुछ ऐसा रहता है कि जैसा देश वैसा भेष. बंगाल जाने पर फकीर की दाढ़ी गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जैसी हो जाती है. दिल्ली लौटने पर ट्रिम होकर पुराने शेप में लौट आती है. फकीर सभी की फिक्र रखकर अलग से फिक्रवाला कोष यानी पीएम केयर्स फंड बनवाता है जिसका ऑडिट करने का कैग को कोई अधिकार नहीं है. हजारों करोड़ की लागत से सेंट्रल विस्टा बनवाने वाले फकीर की आधुनिक सोच देखकर उन्हें कोई व्यक्ति लकीर का फकीर नहीं कह सकता.’’