चुनाव में दिखाएंगे कमाल, सक्रिय होंगे वोटों के दलाल

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हम बेरोजगारी से तंग आगए हैं। वैसे भी यह देश की बड़ी समस्या है। समझ में नहीं आता क्या करें। ’’ 

हमने कहा, ‘‘कुछ न कुछ करते हुए स्वयं को व्यस्त रखना चाहिए। आपने कहावत सुनी होगी- रिकामा दूकानदार क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में भरे। हम भी आपको सलाह देंगे- खाली मत बैठा कर, पैजामा उधेड़ सिया कर! लोग इवेंट मैनेजमेंट करते हैं, आप इलेक्शन मैनेजमेंट कीजिए। अपनी अक्ल का कमाल दिखाइए और वोटों के दलाल बन जाइए। नेताओं को निष्ठावान कार्यकर्ताओं की जरूरत है। आप  बेरोजगारों को जमा कीजिए और उन्हें अपने साथ अलग-अलग पार्टी के उम्मीदवारों के पास ले जाइए और बताइए कि यह फौज आपके प्रचार के लिए तैयार है। बीजेपी नेता के पास केसरिया टोपी पहनाकर, कांग्रेस नेता के पास सफेद टोपी पहनाकर इस भीड़ को जाइए। समाजवुादी नेता के यहां जाना तो लाल टोपी पहना देना। चाय-पानी-नाश्ते के नाम पर सभी से रकम ले लेना। ’’ 

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज यदि किसी नेता ने कहा कि हमें किराए के टट्टू नहीं चाहिए तो उन्हें क्या जवाब देंगे?’’ 

हमने कहा, ‘‘ऐसे उम्मीदवार को समझाइएगा कि बड़े-बड़े सौदे हों या चुनाव बगैर दलाल के नहीं होते। चुनाव को सजीला, जोशीला, भड़कीला बनाए बगैर वोट नहीं मिलते। पैसोंके चुंबक और भुजाओं के बल के भरोसे चुनाव जीते जाते हैं। उम्मीदवार को बताइए कि  प्रेम, युद्ध और चुनाव में सबकुछ जायज होता है। आप निराधार हैं लेकिन हम आपके लिए जनाधार लाएंगे। आप संवेदना को भूल जाइए, अपने चुनाव क्षेत्र को संवेदनशील बनने दीजिए। हम जीते-जागते इंसान तो क्या मिट्टी के पुतले को भी वोट दिलवा सकते हैं। आप आचार संहिता पढ़ते हुए आम, नींबू, कटहल का अचार खाइए। वोटों के जुगाड़ की जिम्मेदारी हम पर छोड़ दीजिए। यदि उम्मीदवार को आपकी बात पट गई तो बैठे-बैठे आपकी कमाई हो जाएगी। ’’