सुविधा नहीं, फिर भी नागपुर के ओजस ने अपने नाम किया गोल्ड, खोली खेल सुविधाओं की पोल

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नागपुर: सिटी के अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज ओजस देवतले (International archer Ojas Deotale) ने एक बार फिर शहर और देश को गर्व करने का मौका दिया. ओजस ने चीन के हांगझोउ शहर ने में जारी एशियन गेम्स (Asian Games) के तहत ज्योति सुरेखा वेन्नम के साथ मिलकर कंपाउंड मिश्रित टीम स्पर्धा में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया. ओजस के पास वैयक्तिक वर्ग में भी स्वर्ण पदक जीतने का भी मौका है. हालांकि ओजस की इस सफलता ने सिटी में खेल कर्णधारों और ट्विटर पर बधाई संदेश देने वाले नीति निर्धारकों को आईना भी दिखाया है. यदि स्वर्ण पदक खुशी की बात है तो यह दुख की बात है कि ओजस नागपुर बजाय सातारा में प्रैक्टिस करता है क्योंकि नागपुर समेत पूरे विदर्भ में विश्व स्तरीय तीरंदाजी की कोई सुविधा नहीं है.

ज्ञात हो कि ओजस (Ojas Deotale) से पहले एथलीट ओलम्पियन राजीव बालाकृष्णन ने वर्ष 1994 में हिरोशिमा में हुए 12वें एशियन गेम्स (Asian Games) में नागपुर और देश में का नाम रोशन किया था. उन्होंने 4×100 रिले में कांस्य पदक जीता था. वर्ष 1971 में नागपुर में जन्मे राजीव अपने शानदार नेशनल रिकार्ड के चलते स्वर्ण पदक का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहे थे. राजीव विदर्भ के एकमात्र ओलम्पियन धावक है. उन्होंने सिडनी ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था. वह नागपुर और महाराष्ट्र छोड़कर कर्नाटक की ओर से दौड़ते थे. अब अमेरिका में बस चुके राजीव ने सुविधाओं के अभाव में यहां से विदा लेना उचित समझा.

हालांकि उन्होंने एक बार फिर महाराष्ट्र की ओर नेशनल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया. इसके बाद कर्नाटक जाना ही बेहतर समझा क्योंकि सुविधाओं के भारी हो रहा था. उन्होंने 10 जून 2000 को लॉन्ग बीच, सीए (अमेरिका) में 200 मीटर में अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 21.44 सेकंड का समय निकाला. वहीं वर्ष 2000 में स्टैनफोर्ड टेशनल प्रतियोगिता में लॉन्ग बीच पर 100 मीटर दौड़ में इनविटेशनल 10.32 सेकंड का अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाला. भारत में 100 मीटर में उनका सर्वश्रेष्ठ समय 10.40 सेकंड था जब उन्होंने 5 जुलाई 2000 को बेंगलुरु में इसे हासिल किया था.

29 वर्ष बाद भी पलायन जारी

बड़े लक्ष्य के साथ अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में जाकर प्रैक्टिस करने लिए जाना यानी खिलाड़ियों का पतन ही कहा जायेगा. 29 वर्ष पहले शहर से पलायन करने कर्नाटक का दामन थामने वाले राजीव के बाद से लेकर आज तक यह क्रम जारी है. विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं, एकडेमी और माहौल के अभाव में सैकड़ों खिलाड़ियों को शहर छोड़ना पड़ा है. उन्हें नागपुर से बाहर जाकर पुणे, औरंगाबाद, सातारा, नाशिक जैसे जिलों की ओर से खेलकर खुद की प्रतिभा को निखारना पड़ता है. यदि ऐसी सुविधायें खिलाड़ियों को यहीं मिली जाये तो पता नहीं कितने ओजस और राजीव विश्व पटल पर दिखायेंगे.

अगस्त में ही दी थी एक खुशी

ज्ञात हो कि इससे पहले 5 अगस्त को ही ओजस ने शहरवासियों को गर्व का जश्न मनाने का मौका दिया था. ओसज ने तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप(Archer World championship) में पुरुषों के वैयक्तिक कंपाउड वर्ग के फाइनल में 150 के स्कोर हासिल कर स्वर्ण पदक जीता था और विश्व चैंपियनशिप बना था.