अहमदनगर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो दिन के महाराष्ट्र दौरे पर पहुंचे हैं। अपनी यात्रा के पहले दिन अहमदनगर जिले में उन्होंने उनके सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि, महाविकास अघाड़ी सरकार राज्य में मौजूद चीनी मिलों को बैंक गैरंटी नहीं दे रही है।”
ऑपरेटिव सेक्टर को कनेक्ट करने आया हूं
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “राज्य सरकार के लिए यह कितना उचित है कि एक चीनी कारखाने के निदेशक को गारंटी न दी जाए जिसका प्रबंधन राजनीतिक रूप से हमारे साथ नहीं है। मेरे यहां आने पर कई फोन आए। आप महाराष्ट्र में क्या करने जा रहे हैं? यही सवाल था। मैं सहकारिता मंत्री बना। उन्होंने मुझसे कई सवाल किए। “
उन्होंने कहा, “मैं कोऑपरेटिव सेक्टर को तोड़ने नहीं आया हूं, कनेक्ट करने आया हूं। लेकिन राज्य सरकार को भी राजनीति को दरकिनार कर सहयोग की ओर देखना चाहिए। उन्होंने यह भी सलाह दी कि कारखाने के निदेशक कौन हैं और वह किस पार्टी से संबंधित हैं, इस आधार पर वित्त सहायता न दें।”
जिला बैंकों को किसने डुबोया
शाह ने महाराष्ट्र के कॉपरेटिव बैंकों में हुए करोड़ो के घोटाले पर कहा, “हमें सहकारी आंदोलन को कमियों से मुक्त करने की जरूरत है। एक समय था जब महाराष्ट्र के जिला सहकारी बैंकों की ओर देखा जाता था, लेकिन आज केवल तीन ही बचे हैं। कैसे हुए करोड़ों रुपये के घोटाले? क्या आरबीआई ने ऐसा किया? नहीं आरबीआई ने ऐसा नहीं किया…”
उन्होंने कहा, “मैं राजनीतिक टिप्पणी करने नहीं आया हूं…सहकारिता आंदोलन के कार्यकर्ताओं को बताना चाहता हूं कि केंद्र उनके साथ है। लेकिन साथ ही हमें दक्षता बढ़ाने, पेशेवर छात्रों को लाने और उन्हें कमान देने की जरूरत है।”
I've not come to make political remarks…Just want to tell workers of Cooperative movement that Centre is with them. But simultaneously we need to increase efficiency, bring in professional students & give them command: Union Home Minister Amit Shah in Ahmednagar, Maharashtra pic.twitter.com/h6290QzL3u
— ANI (@ANI) December 18, 2021
मिलकर करेंगे समस्या हल
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस बार वह बैंकों को बचाएंगे। बैंकों को बचाने के लिए जो भी करना होगा हम करेंगे। इन्हें बचाने के लिए बैंक अब नई कमेटियां नहीं बनाएंगे। समितियां बनाने में समय बर्बाद न करें। कई कमेटियां बनीं, कई रिपोर्टें आईं। रिपोर्ट रद्द कर दी गई। कुछ भी लागू नहीं किया गया था। इसलिए कमेटी की जरूरत नहीं है। हम आपके साथ बैठकर समस्या को समझेंगे और उसका समाधान करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निकट भविष्य में एक नई सहयोग नीति पेश की जाएगी।